अंतर्राष्ट्रीय

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फिलिस्तीन एक दिन अवश्य आजाद होगा ! साम्राज्यवाद
रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी-यूरोपीय साम्राज्यवादी साम्राज्यवाद
जर्मनी : बढ़ती मुस्लिम विरोधी हिंसा साम्राज्यवाद
म्युनिख सुरक्षा सम्मेलन में फिलिस्तीन कहां? साम्राज्यवाद
पाकिस्तान चुनाव : त्रिशंकु संसद राजनीति
गाजापट्टी पर इजरायली नरसंहार का क्षेत्रीय प्रभाव व परिणाम युद्ध
इजरायली नरसंहार की पुष्टि पर उसे रोकने के आदेश से इनकार युद्ध
गाजा में डोनट पकाना एक जीत क्यों है? -वेजदान बाजदी अबू शम्माला युद्ध
बांग्लादेश चुनाव : शेख हसीना की शेखशाही राजनीति
नरसंहारक इजरायली-अमेरिकी शासकों की बदलती भाषा युद्ध

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है