फिलिस्तीन नया वियतनाम बनने की तरफ
अक्टूबर माह से शुरू हुए फिलिस्तीन पर इजरायल के नए नरसंहार वाले युद्ध के 6 माह बीतते-बीतते अमेरिका में ऐसी परिस्थिति पैदा हो गयी है जो कि वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका मे
अक्टूबर माह से शुरू हुए फिलिस्तीन पर इजरायल के नए नरसंहार वाले युद्ध के 6 माह बीतते-बीतते अमेरिका में ऐसी परिस्थिति पैदा हो गयी है जो कि वियतनाम युद्ध के दौरान अमेरिका मे
हम बरेली शहर के मढ़ीनाथ और बंशीनगला मोहल्ले की बात कर रहे हैं। यहां अलग-अलग नाम से दो सेण्टर संचालित होते हैं। यहां कई कर्मचारी हैं व एक डॉक्टर भी है। यहां छोटी-छोटी बीमार
पिछले कुछ समय से मोदी सरकार के इशारे पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विपक्षी पार्टियों विशेष रूप से आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेताओं पर प्रिवेंशन आफ मनी लान्ड्रिंग एक्ट 2002
भारत ही नहीं विश्व का मजदूर आंदोलन एक विचित्र अवस्था से गुजर रहा है। मजदूर वर्ग के पुराने संगठन, पार्टियां अपने ढलान की ओर हैं, और नये संगठन, नये आंदोलन विकसित नहीं हो पा
मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की
पिछले दस महीनों से मणिपुर में भयावह हिंसा जारी है। मैतेइ और कुकी समुदाय आमने-सामने हैं। यह 3 मई, 2023 को शुरू हुई थी। फरवरी, 2024 तक 219 लोग मारे जा चुके हैं। मारे जाने व
सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है
हल्द्वानी/ बीते 20 अप्रैल की रात में हल्द्वानी के बनभूलपुरा इलाके में दो दर्जन से अधिक झोपड़ियां जलकर राख हो गईं। इस अग्निकांड में बस्तीवासियों का बिस्तर,
हल्द्वानी बनभूलपुरा में 8 फरवरी 2024 को प्रशासन द्वारा मदरसा व मस्जिद को हाईकोर्ट में सुनवाई होने के बावजूद भी बुलडोजर से तोड़ने के कारण उपजे विवाद के बाद हुए उपद्रव में प
फरीदाबाद/ 21 अप्रैल 2024 को कामरेड लेनिन के स्मृति शताब्दी वर्ष में, कामरेड लेनिन के जन्म दिवस के अवसर पर इंकलाबी मजदूर केंद्र के द्वारा वक्तव्य व फिल्म
मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की
सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है
रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के दो वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है। यह युद्ध लम्बा खिंचता जा रहा है। इस युद्ध के साथ ही दुनिया में और भी युद्ध क्षेत्र बनते जा रहे हैं। इजरायली यहूदी नस्लवादी सत्ता द्वारा गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है। इस नरसंहार के विरुद्ध फिलिस्तीनियों का प्रतिरोध युद्ध भी तेज से तेजतर होता जा रहा है।
अल सल्वाडोर लातिन अमेरिका का एक छोटा सा देश है। इसके राष्ट्रपति हैं नाइब बुकेली। इनकी खासियत यह है कि ये स्वयं को दुनिया का ‘सबसे अच्छा तानाशाह’ (कूलेस्ट डिक्टेटर) कहते ह
इलेक्टोरल बाण्ड के आंकड़ों से जैसे-जैसे पर्दा हटता जा रहा है वैसे-वैसे पूंजीपति वर्ग और उसकी पाटियों के परस्पर संबंधों का स्वरूप उजागर होता जा रहा है। इसी के साथ विषय के प