अर्थव्यवस्था

आंकड़ों की एक और बाजीगरी

भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर पिछले कुछ समय से सवाल उठने शुरू हो गये हैं। आज सरकार अलग-अलग तरह के हेर-फेर के जरिए अपने मनमाफिक आंकड़े जुटाने में लगी रहती है। ऐसा ही कुछ अभी जारी पी

युवाओं की हत्यारी व्यवस्था

हमारे देश में युवाओं की आत्महत्या का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। बढ़ती बेरोजगारी, असुरक्षित भविष्य, संबंधों में व्यक्तिवाद का बोलबाला आदि बड़े पैमाने पर युवाओं को अलगाव, अवसाद की ओर ढकेल रहे हैं। आत्महत्या

अडाणी के साथ गोता लगाते कर्जदाता एलआईसी व बैंक

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के चलते अडाणी के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है। खुद अडाणी दुनिया के तीसरे नम्बर के धनाढ्य से 38 वें स्थान पर खिसक गये हैं। बीते एक माह में उनकी कंपनियों के शेयरों का बाजार पूं

भारत का चीन के साथ बढ़ता व्यापार घाटा

चीन भारत का अमेरिका के बाद दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। भारत का कुल व्यापार वर्ष 2021-22 में 1035 अरब डालर का हुआ। इसमें चीन के साथ 115.83 अरब डालर का व्यापार हुआ। यह कुल व्यापार का 11.19 प

मनरेगा और वित्तमंत्री का अर्द्धसत्य बयान

बीते दिनों वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में बताया कि मनरेगा के तहत काम की मांग लगातार गिर रही है। इस तरह इस बयान के जरिये वित्त मंत्री ने यह दिखलाने की कोशिश की कि भारतीय अर्थव्यवस्था सुधर

राज्य सहकारिताओं पर केन्द्र की गिद्ध दृष्टि

केन्द्र की भाजपा सरकार 2014 के बाद से ही एकाधिकारी पूंजी की निर्लज्ज सेवा में जुटी है। इसके साथ ही वह देश के नाममात्र के संघीय ढांचे को भी लात लगा केन्द्र का सभी क्षेत्रों में वर्चस्व कायम करने की

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।