मजदूर संघर्ष

सैमसंग मजदूरों की हड़ताल व सीटू का समझौतापरस्त नेतृत्व

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सैमसंग इंडिया के तमिलनाडु स्थित संयंत्र के संघर्षरत मजदूरों की एक महीने पुरानी हड़ताल बगैर किसी सम्मानजनक समझौते के समाप्त हो गयी है। दक्षिण कोरिया की इस बहुराष्ट्रीय कम्प

बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में मजदूर पंचायत

मजदूर पंचायत कर बवाना इंडस्ट्रियल एरिया के फैक्टरी मालिकों के खिलाफ शिकायत पत्र

दिल्ली/ 3 अगस्त को न्यूनतम वेतन एवं अन्य श्रम अधिकारों को लागू करवाने के लिए बवाना इंडस्ट्रियल एरिया में मजदूर पंचायत का आयोजन किया गया। मजदूर एकता समिति

संयुक्त मोर्चा ने सात सूत्रीय मांगों का ज्ञापन मुख्यमंत्री को भेजा

भोजनमाताओं/रसोइयों द्वारा सभा एवं ज्ञापन

बदायूं/ दिनांक 12 अगस्त 2024 को आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन जनपद बदायूं के नेतृत्व में स्थान जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय बदायूं पर धरना प्

उत्तराखण्ड : उच्च न्यायालय की न्यूनतम मजदूरी में वृद्धि पर रोक

उत्तराखण्ड में भाजपा सरकार के मजदूर हितैषी होने के पाखण्ड की असलियत एक बार फिर उजागर हो चुकी है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले सरकार ने जब राज्य में मजदूरों की न्यूनतम मजदूरी

भीषण गर्मी से परेशान अमेजन मजदूरों ने उठायी आवाज

भयंकर गर्मी से परेशान गुड़गांव के अमेजन के मजदूरों ने आवाज उठायी है। अमेजन इण्डिया वर्कर्स एसोसिएशन ने भयंकर गर्मी में काम कर रहे अमेजन के मजदूरों को राहत देने की बात की ह

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।