महावीर प्लाई में हादसा

उत्तर प्रदेश के जिला बरेली में परसा खेडा क्षेत्र है। यह फैक्टरी एरिया है। यहां लगभग 200 से 250 फैक्टरी होंगी। इसी क्षेत्र में रोड न. 4 पर स्थित महावीर प्लाइबोर्ड है जिसमें लगभग 200-300 मजदूर ठेके के तहत काम करते हैं। इसमें अलग-अलग ठेकेदार हैं। हर रोज नये मजदूरों की भर्ती ठेकेदार करता है लेकिन ईएसआईसी सभी मजदूरों का नहीं बनाता है। कुछ पुराने लोगों का ईएसआईसी बना हुआ है। फैक्टरी में काम करते समय मजदूरों ने ठेली में लिमिट से ज्यादा माल लोड कर दिया और ओवरलोड होने की वजह से ठेली पलट गई और हादसा हो गया। इस हादसे में तीन मजदूरों को चोटें आई हैं। चोट लगने के बाद दो घंटे ठेकेदार ने अस्पताल ले जाने में लगा दिये। तब तक तीनों मजदूर जमीन पर पड़े तड़पते रहे। बहुत जद्दोजहद के बाद ठेकेदार ने मजदूरों को अस्पातल में भर्ती कराया है। तीनों मजदूर पास के गांव जौहरपुर के रहने वाले हैं। अतः ठेकेदार ने तीनों को अस्पताल में भर्ती कराया है और तीनों में से दो को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गयी है लेकिन एक मजदूर को ज्यादा चोट आई है उसे अभी छुट्टी नहीं दी गई है। उसका इलाज चल रहा है मरीजों के परिजनों का ठेकेदार से संघर्ष जारी है। वह ठेकेदार से मांग कर रहे हैं कि जब तक मजदूर ठीक न हो तब तक मुफ्त इलाज, घर बैठे की सेलरी, बच्चों के भरण पोषण के लिए मुआवजा दिया जाये। -एक पाठक, बरेली

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।