विदेश

अमेरिका : आटो मजदूरों की हड़ताल

15 सितम्बर को अमेरिका की तीन बड़ी कंपनियों जनरल मोटर्स, फोर्ड और स्टेलेन्टिस (पूर्व में क्रिसलर) के 13,000 मजदूर अपनी यूनियन यूनाइटेड आटो वर्कर (यू ए डब्ल्यू) के नेतृत्व म

ब्राजील : शिक्षा बजट में कटौती के खिलाफ प्रदर्शन

ब्राजील की राजधानी साओ पाउलो में 11 अगस्त को छात्रों और अध्यापकों ने लूला सरकार द्वारा शिक्षा बजट में की गयी कटौती के खिलाफ प्रदर्शन किया। लूला सरकार ने जुलाई के अंत में

गिरती मजदूरी बढ़ता मुनाफा

ओ ई सी डी द्वारा हाल में रोजगार संदर्भी रिपोर्ट जारी की गयी। इस रिपोर्ट ने बढ़ती महंगाई के पीछे बढ़ती मजदूरी का तर्क देने वाले पूंजीवादी अर्थशास्त्रियों की बोलती बंद कर दी

ब्रिटिश डॉक्टरों ने शुरू की हड़ताल

13 जुलाई से ब्रिटिश जूनियर डॉक्टरों ने अपनी मांगों को न माने जाने के विरोध में हड़ताल शुरू कर दी है। डॉक्टरों की मांग तनख्वाह में 35 प्रतिशत वेतन वृद्धि की है जबकि प्रधानम

रोमानिया : वेतन वृद्धि के लिए शिक्षकों का संघर्ष

रोमानिया के लगभग 2 लाख शिक्षकों में करीब 1.5 लाख शिक्षक 22 मई से हड़ताल पर हैं। उनके साथ में स्कूलों के 70,000 सहयोगी स्टाफ भी हड़ताल पर हैं। इतनी वृहद हड़ताल बीते 18 वर्षों में पहली बार हुई है। इस हड़

श्रीलंका : आतंकवाद विरोधी बिल के विरोध में हड़ताल

    25 अप्रैल को श्रीलंका का उत्तरी व पूर्वी प्रांत पूरी तरह ठप रहा। दोनों प्रांतों के लोग राष्ट्रपति विक्रमसिंघे के नये आतंकवाद विराधी कानून के विरोध में हड़ताल व चक्का जाम पर थे। इस नये कानून के त

पेंशन और छुट्टा पूंजीवाद

    फ्रांस में पेंशन सुधारों के खिलाफ लगभग समूचा मजदूर वर्ग बीते कई महीनों से संघर्ष कर रहा है। फ्रांसीसी मजदूर वर्ग काम करने की उम्र 62 से 64 वर्ष किये जाने के सरकारी फरमान को स्वीकारने को तैयार न

मलयाना नरसंहार के दोषी रिहा

एक लम्बे इंतज़ार के बाद 1 अप्रैल को मेरठ के मलयाना नरसंहार का फैसला आ गया और इस फैसले में 39 दोषियों को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया गया। इस नरसंहार में 93 लोगों को दोषी बनाया गया था। इसमें से

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है