उथल-पुथल की राह पर वैश्विक अर्थव्यवस्था

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘वर्ल्ड इकानामिक आउटलुक’ के मुताबिक 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था उथल-पुथल वाली अनिश्चित राह की ओर बढ़ रही है। रिपोर्ट ट्
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की अपनी वार्षिक रिपोर्ट ‘वर्ल्ड इकानामिक आउटलुक’ के मुताबिक 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था उथल-पुथल वाली अनिश्चित राह की ओर बढ़ रही है। रिपोर्ट ट्
1980 के दशक से ही जो यह सिलसिला शुरू हुआ वह वैश्वीकरण-उदारीकरण का सीधा परिणाम था। स्वयं ये नीतियां वैश्विक पैमाने पर पूंजीवाद में ठहराव तथा गिरते मुनाफे के संकट का परिणाम थीं। इनके जरिये पूंजीपति वर्ग मजदूर-मेहनतकश जनता की आय को घटाकर तथा उनकी सम्पत्ति को छीनकर अपने गिरते मुनाफे की भरपाई कर रहा था। पूंजीपति वर्ग द्वारा अपने मुनाफे को बनाये रखने का यह ऐसा समाधान था जो वास्तव में कोई समाधान नहीं था। मुनाफे का गिरना शुरू हुआ था उत्पादन-वितरण के क्षेत्र में नये निवेश की संभावनाओं के क्रमशः कम होते जाने से।
सर्वोच्च न्यायालय के माननीय न्यायाधीश पढ़े-लिखे समझदार लोग माने जाते हैं। कम से कम उनसे देश-दुनिया के बारे में इतनी समझदारी की उम्मीद की जाती है कि वे ढंग से न्याय कर सकें
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नहीं रहे। पूंजीवादी मीडिया उनकी विनम्रता के गुणगान कर रहा है। बेशक वे एक विनम्र प्रधानमंत्री थे। उनमें इंदिरा-राजीव या मोदी की तरह अकड़ का न
यहां याद रखना होगा कि बड़े पूंजीपतियों को अर्थव्यवस्था के वास्तविक हालात को लेकर कोई भ्रम नहीं है। वे इसकी दुर्गति को लेकर अच्छी तरह वाकिफ हैं। पर चूंकि उनका मुनाफा लगातार बढ़ रहा है तो उन्हें ज्यादा परेशानी नहीं है। उन्हें यदि परेशानी है तो बस यही कि समूची अर्थव्यवस्था यकायक बैठ ना जाए। यही आशंका यदा-कदा उन्हें कुछ ऐसा बोलने की ओर ले जाती है जो इस फासीवादी सरकार को नागवार गुजरती है और फिर उन्हें अपने बोल वापस लेने पड़ते हैं।
बीते दिनों अमेरिका में एक दिलचस्प वाकया घटित हुआ। 4 दिसम्बर को यूनाइटेड हेल्थ केयर के सीईओ ब्रायन थाम्पसन की मैनहट्टन में निवेशकों की एक बैठक में जाते समय गोली मारकर हत्य
काफी पहले उपनिवेशवादी लूट-पाट के जमाने में एक पूंजीवादी अर्थशास्त्री ने पूंजी के मुनाफे के बारे में एक टिप्पणी की थी जिसका आशय यह था कि यदि पूंजी पर होने वाले मुनाफे की स
जिस दिन अमेरिका में ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव में विजेता घोषित हुए उसी दिन जर्मनी में सत्तारूढ़ गठबंधन बिखर गया। 2021 से जर्मनी में तीन पार्टियों सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी, फ्र
पूंजीवाद में आर्थिक असमानता जितनी ज्यादा बढ़ती जाती है, उतना ही आबादी के एक हिस्से में तेज आर्थिक प्रगति की चाहत बढ़ती जाती है। पूंजीवादी समाज अमीर बनने की चाहत को गलत नहीं
देश की हिन्दू फासीवादी सरकार ने भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करने में भले ही सफलता न पाई हो पर उसने पूरे देश को सट्टेबाज बनाने में जरूर सफलता प्राप्त कर ली है। आज पूंजीपत
अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह
संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।
आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।