राजनीति

क्या काली मुर्गी भी सफेद अण्डे देती है

जाहिर सी बात है कि मुर्गी चाहे किसी भी रंग की हो उसे सफेद अण्डे ही देने चाहिए। मुर्गी काली हो या सफेद देगी तो सफेद अण्डे ही। यानी राजनेता किसी भी रंग का हो जब करेगा बात त

सब कुछ लुटा के होश में आये ......

पिछले साल मणिपुर उच्च न्यायालय के एक फैसले कि मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एस टी) का दर्जा दिया जाये, ने मणिपुर को साम्प्रदायिक-नस्लीय आग में झोंक दिया था। 3 मई 2023 स

पुराने पापी को पुरूस्कार

चुनावी साल में पहले मण्डल राजनीति के पुरोधा कर्पूरी ठाकुर को भारत का सर्वोच्च पुरूस्कार भारत रत्न दिया गया और फिर उसके बाद कमण्डल राजनीति के जरिये देश को दंगों की आग में

सत्ता का ‘खेला’

बिहार में नीतीश कुमार की नई सरकार ने अंततः बहुमत साबित कर दिया। इस फ्लोर टेस्ट में भारतीय राजनीति के पतन की नई इंतहा दिखाई पड़ी। खुलेआम दोनों पक्षों की ओर से ‘खेला’ होने क

लगी भारत रत्न की झड़ी है

जैसे सावन में झड़ी लगती है ठीक वैसे ही चुनावी साल में भारत रत्न की झड़ी लगी है। इस वक्त तक पांच ‘‘महापुरुषों’’ को भारत रत्न दिया जा चुका है। कर्पूरी ठाकुर, लाल कृष्ण आडवाणी

गुरू-चेले और सामाजिक न्याय

कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा कर मोदी सरकार ने इंडिया गठबंधन में दरार डालने में सफलता पा ली। पाला बदलने के लिए मशहूर नीतीश कुमार ने एक बार फिर पाला बदला और मोद

भारत रत्न और कर्पूरी ठाकुर

कुछेक अपवादों को छोड़ दिया जाये तो भारत रत्न भारत के ऐसे राजनेताओं को मिलता रहा है जिन्होंने अपने खास ढंग से भारत की राजनैतिक-सामाजिक व्यवस्था की सेवा की है। जिस ढंग से भा

चीन से प्रमाण पत्र

पिछले दिनों चीन के एक अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ में एक लेख ‘भारत आख्यान के बारे में मैंने क्या महसूस किया’ (व्हाट आई फील अबाउट दि ‘भारत नरेटिव’ इन इण्डिया) छपा। इस लेख को झां

मुख्य अतिथि की तलाश

भारत में हर साल 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाया जाता है। नई दिल्ली में भव्य परेड होती है। इस परेड के दौरान भारत की सैन्य ताकत का खुला प्रदर्शन होता है। साथ ही भारत की सांस

कांग्रेस पार्टी और धर्मनिरपेक्षता

हालिया विधान सभा चुनावों के परिणामों ने देश के उदारवादियों और वाम-उदारवादियों का दिल तोड़ दिया। वे उम्मीद कर रहे थे कि इन चुनावों में भाजपा की हार फिर 2024 के लोकसभा चुनाव

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है