केरल स्टोरी

झूठे तथ्यों, मनगढ़न्त निष्कर्षों से साम्प्रदायिक वैमनस्य फैलाती फिल्म

झूठ, धार्मिक नफरत फैलाने वाली फासीवादी एजेंडे पर बनी केरल स्टोरी फिल्म हाल ही में रिलीज हुई। फिल्म का ट्रेलर आने के साथ ही इससे विवाद जुड़ गया। फिल्म के ट्रेलर और बाद में फिल्म में जो तथ्य रखे गये, जो विचार उसमें दिये गये वे बेहद खतरनाक हैं। फिल्म में ‘लव जिहाद’ का नाम नहीं लिया गया है लेकिन आरएसएस, भाजपा द्वारा पैदा किये गये लव जिहाद की काल्पनिक समस्या पर ही फिल्म केन्द्रित है।
    

फिल्म का एक तथ्य सभी के लिये चौंकाने वाला था। यह इतना चौंकाने वाला था कि सभी का ध्यान इस पर गया। और पहली नजर में ही यह विश्वास करने योग्य नहीं था। फिल्म में बताया गया कि केरल में आतंकवाद का एक नया रूप धड़ल्ले से चल रहा है जिसके तहत पूरी साजिश के तहत हिन्दू लड़कियों को मुसलमान बनाया जा रहा है। उनकी शादी/प्रेम मुसलमान लड़कों से करवाकर उन्हें आईएसआईएस आतंकी संगठन में भर्ती करवाया जा रहा है। फिल्म में तीन लड़कियों की मनगढंत कहानी बनाकर बताया गया है कि यह एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है। केरल से 32,000 लड़कियां/लड़के इस तरह से आईएसआईएस से जुड़ चुके हैं।
    

इतनी बड़ी संख्या में केरल से आतंकवादी बनना किसी के भी गले नहीं उतरा। थोड़ी सी जांच पड़ताल से ही पता चला कि यह तथ्य झूठ से भरा हुआ है। केरल में ‘लव जिहाद’ चल रहा है। इस विचार को स्थापित करने के लिए इस झूठे तथ्य को गढ़ा गया। तभी कोर्ट की हल्की सी बात पर ही ट्रेलर से 32,000 की संख्या तुरंत ही हटा दी गयी।
    

अब अन्य तथ्य की रोशनी में केरल स्टोरी के तथ्यों को परखा जाए। 20 दिसम्बर 2017 को गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने एनआईए की रिपोर्ट के आधार पर राज्यसभा में बताया कि भारत में कुल 103 लोगों को 14 राज्यों से गिरफ्तार किया गया जिन पर आईएस से सहानभूति रखने का आरोप था। एनआईए ने यह भी कहा कि भारत में ‘बहुत ही कम’ लोग हैं जो आईएसआईएस में शामिल हुए हैं। 103 लोग जिन पर आईएसआईएस से सहानुभूति रखने की जांच हुई वे लोग राज्यवार इस प्रकार हैं। 17 उत्तर प्रदेश, 16 महाराष्ट्र, 16 तेलंगाना, 14 केरल, 8 कर्नाटक के थे। इन लोगों पर आईएसआईएस के मेन कैम्पों में जाने का आरोप नहीं था सिर्फ सहानुभूति का ही आरोप था।
    

दो साल बाद 2019 में मोदी के दूसरे कार्यकाल में भी एक इसी तरह की रिपोर्ट लोकसभा में पेश हुई जिसमें गृह राज्य मंत्री किशन रेड्डी ने लिखित जवाब देते हुए बताया कि एनआईए और राज्य पुलिस बलों ने देश में कुल 155 आरोपियों को गिरफ्तार किया जिन पर आईएसआईएस से सहानुभूति रखने का आरोप था।
    

मनोहर पार्रिकर इंस्टीट्यूट आफ डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि 2019 तक खाड़ी देशों में काम करने गये प्रवासियों में से लगभग 100 लोगों को आईएसआईएस में फंसाया गया था जबकि 155 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
      

अन्य आंकलन जो यूरोपीय यूनियन और अमेरिका की सीआईए द्वारा किये गये। जिसमें बताया गया कि आईएस में अधिकतम 30,000 आतंकी शामिल हैं जिसमें 5000 यूरोप से भर्ती किये गये, शेष अरब देशों से हैं। इसमें सबसे बड़ी संख्या लीबिया की बताई गयी है। इन ढेर सारे तथ्यों के विपरीत फिल्म केरल स्टोरी अकेले केरल से ही 32,000 लोगों को आईएस में शामिल करवा देती है।
    

कुल मिलाकर मोदी सरकार की औपचारिक रिपोर्टें, कमेटियां और साथ ही दुनिया भर की रिपोर्टें एक तथ्य रखती हैं लेकिन केरल स्टोरी, भाजपा, आरएसएस और इनके लम्पट संगठन एक अलग ही तस्वीर पेश करते हैं। 
    

केरल स्टोरी की बातों को भाजपा साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण का एक अस्त्र बना रही है। ज्यादा सही कहें तो भाजपा, आरएसएस द्वारा वर्षों से लव जिहाद के नाम पर फैलाये झूठ को केरल स्टोरी लोकप्रिय ढंग से मिर्च-मसाला लगाकर पेश कर रही है। भाजपा द्वारा फैलाये जा रहे झूठ का मकसद भी स्पष्ट है। इसका दूरगामी लक्ष्य 2024 का लोकसभा चुनाव और तात्कालिक लक्ष्य कर्नाटक विधानसभा चुनाव है। यह अनायास ही नहीं है कि पूरी भाजपा, आरएसएस और इसके लम्पट संगठन केरल स्टोरी के प्रचार में उतर आये हैं। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने तो ट्वीट कर कहा कि केरल स्टोरी को टैक्स फ्री किया जायेगा। कर्नाटक चुनाव में मोदी, शाह अपनी चुनावी रैलियों में केरल स्टोरी की तारीफें कर इसे बहुत बड़ी सामाजिक समस्या बता रहे हैं। मोदी ने बिल्लारी कर्नाटक की चुनावी सभा में कहा ‘आतंकवाद के पुराने स्वरूप बदल गये हैं आतंकवाद का नया रूप समाज को अंदर से कमजोर कर रहा है। कोई आवाज नहीं करता। केरल स्टोरी केरल में ऐसी ही एक साजिश पर आधारित फिल्म है’।
    

गृहमंत्री अमित शाह ने भी कर्नाटक चुनावी कार्यक्रम में केरल स्टोरी का जिक्र करते हुए इसे एक ‘‘बहुत बड़ी सामाजिक समस्या’’ कहा। जब उनसे उनकी पत्रकार अंजना ओम कश्यप ने पूछा कि क्या यह लव जिहाद है तो गृहमंत्री ने चतुराई से लव जिहाद अपने मुंह से नहीं कहा और ‘‘बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है’’ यही दोहराते रहे। गृहमंत्री का लव जिहाद शब्द ना कहने की मजबूरी यह है कि खुद गृहमंत्रालय ‘लव-जिहाद’ की समस्या से इनकार कर चुका है।
    

भाजपा, मोदी, शाह का पूरा रवैया पाखंड और जहरीले विचारों से भरा हुआ है। सरकार औपचारिक तौर पर लव जिहाद को नकारती है। आईएस आतंकी संगठन में भारत से ‘‘बहुत ही कम’’ भर्ती की बात को स्वीकारती है। लेकिन चुनावी फायदे के लिए हिन्दू-मुसलमान ध्रुवीकरण के लिए वो केरल स्टोरी जैसी फिल्मों को प्रोत्साहित करते हैं।

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है