5

हिन्दू फासीवादी सोच में गरीब और गरीबी

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

पूंजीवादी जनतंत्र में चुनाव और जन-जीवन के मुद्दे

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है

नन्हें-नन्हें तानाशाहों वाली परिघटना

अल सल्वाडोर लातिन अमेरिका का एक छोटा सा देश है। इसके राष्ट्रपति हैं नाइब बुकेली। इनकी खासियत यह है कि ये स्वयं को दुनिया का ‘सबसे अच्छा तानाशाह’ (कूलेस्ट डिक्टेटर) कहते ह

हिन्दू फासीवादी और बढ़ती लंपटता

यदि किसी को हिन्दू फासीवादी प्रचारक से बात करने का मौका मिला हो तो उसने पाया होगा कि उसकी तीन चौथाई बातें नैतिकता के बारे में होती हैं। समाज की सारी समस्याएं उसके लिए नैत

उदारवादी, वाम-उदारवादी और फासीवाद

आज दुनिया भर में ही फासीवादी शक्तियां उभार पर हैं। कई देशों में वे इस या उस हद तक सत्ता में भागीदार भी बन रही हैं। हालांकि आज किसी भी देश में फासीवाद निजाम नहीं है पर कई

पूंजीवादी जनतंत्र और धनतंत्र

आजकल अपने देश में चुनावों में पैसे के खेल को लेकर काफी चर्चा है। इस चर्चा को तब काफी बल मिला जब सर्वोच्च न्यायालय ने छः साल बाद आखिरकार चुनावी बांड की संवैधानिकता पर अपना

पूंजीवादी जनतंत्र में जन और तंत्र

इस समय संयुक्त राज्य अमेरिका की संघीय सर्वोच्च अदालत में इस बात को लेकर मुकदमा चल रहा है कि क्या 2020 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद डोनाल्ड ट्रम्प समर्थकों ने जो विद्रोह करने की कोशिश की थी और जिसमें

धर्म का धंधा

आज से करीब ढाई हजार साल पहले जब प्लेटो यानी अफलातून ने अपनी ‘गणराज्य’ नामक किताब में आदर्श राज्य व्यवस्था का खाका खींचा तो साथ ही इसके स्थायित्व की भी व्याख्या की। उसने क

‘हिन्दू राष्ट्र’ की ओर एक और कदम

संघ परिवार की ओर से गाहे-बगाहे यह बात होती रही है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की स्थापना के सौ साल होने तक भारत एक ‘हिन्दू राष्ट्र’ बन जायेगा। अब यह समय बहुत नजदीक आ गया

धारा-370 फैसला : जी हुजूर, सिर-माथे पर !

संविधान की धारा-370 को निष्प्रभावी करने के केन्द्र सरकार के 2019 के फैसले पर सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिये गये हालिया फैसले ने वर्तमान मुख्य न्यायाधीश से उम्मीद लगाये उदा

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है