बर्खास्त -मनमोहन

फूल के खिलने का डर है
सो पहले फूल का खिलना बरखास्त,
फिर फूल बरखास्त

हवा के चलने का डर है
सो हवा का चलना बरखास्त, 
फिर हवा बरखास्त

डर है पानी के बहने का
सीधी सी बात है
पानी का बहना बरखास्त,
न काबू आए तो पानी बरखास्त

सवाल उठने का सवाल ही नहीं
सवाल का उठना बरखास्त
सवाल उठाने वाला बरखास्त,
यानी सवाल बरखास्त

असहमति कोई है तो असहमति बरखास्त
असहमत बरखास्त
और फिर सभा बरखास्त
जनता का डर
तो पूरी जनता बरखास्त

किले में बंद हथियारबंद खौफजदा
बौना तानाशाह चिल्लाता है
बरखास्त बरखास्त
रातों को जगता है चिल्लाता है
खुशबू को गिरफ्तार करो
उड़ते पंछी को गोली मारो।

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है