अयोध्या : एक रियल इस्टेट नगरी

औद्योगिक घरानों से लेकर धर्म गुरुओं तक और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से लेकर नौकरशाहों तक सभी आजकल सरयू में नहाकर भारी पुण्य कमा रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित
औद्योगिक घरानों से लेकर धर्म गुरुओं तक और राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से लेकर नौकरशाहों तक सभी आजकल सरयू में नहाकर भारी पुण्य कमा रहे हैं। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित
बीते 9-10 वर्षों में मोदी सरकार ने कम से कम 7 बार संसद में इस बात का वायदा किया कि वह अडाणी ग्रुप के घोटालों की जांच कर रही है पर हर बार जनता का ध्यान हटते ही उसने जांच क
भारत में चुनाव में मुफ्त में शराब बांटी जाती है यह आम बात है। खास बात यह है कि कोई बंदा चुनाव में जीत जाये और वह बकायदा आबकारी विभाग से अनुमति ले और पुलिस की उपस्थिति में
कहावत है कि नंगे राजा को नंगा कहने के लिए एक बच्चे के साहस की आवश्यकता होती है।
भारत की संसद में 1 जुलाई को जो हुआ वह अजब-गजब था। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी की गर्जन-तर्जन से सत्ता पक्ष बेचैन था। इधर राहुल गांधी बोलते उधर कभी प्रधानमंत्री,
बहन मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनन्द को ठीक चुनाव के पहले अपनी पार्टी बसपा का राष्ट्रीय समन्वयक और उत्तराधिकारी घोषित किया था। आकाश आनन्द ने चुनाव में ऐसे-ऐसे बयान दिये क
इस लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को हराने की इच्छा रखने वाला उदारवादी बुद्धिजीवियों का समूह आंख मूंद कर इंडिया गठबंधन की तारीफों में जुटा रहा। चुनाव में इस गठबंधन के बेहतर
पहले तो खबर आयी कि अयोध्या में भाजपा के प्रत्याशी को हार का मुंह देखना पड़ा और अब खबर यह है कि ‘पहली बारिश में ही टपकने लगा श्री राम मंदिर में पानी’। जिस रामपथ के निर्माण
अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह
संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।
आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।