सब कुछ लुटा के होश में आये ......

पिछले साल मणिपुर उच्च न्यायालय के एक फैसले कि मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एस टी) का दर्जा दिया जाये, ने मणिपुर को साम्प्रदायिक-नस्लीय आग में झोंक दिया था। 3 मई 2023 स
पिछले साल मणिपुर उच्च न्यायालय के एक फैसले कि मैतई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (एस टी) का दर्जा दिया जाये, ने मणिपुर को साम्प्रदायिक-नस्लीय आग में झोंक दिया था। 3 मई 2023 स
मणिपुर अभी भी अशांत है। अभी भी हिंसा-आगजनी की खबरें छन-छन कर आ रही हैं। विशेषकर कूकी समुदाय के लोग भयानक असुरक्षा में हैं। एक तरफ देश की राजधानी में निरंकुश मोदी सरकार 75
मणिपुर की स्थिति बेहद संकटपूर्ण है। लगभग 70 हजार से ज्यादा लोगों को शरणार्थियों की तरह रहने को बाध्य कर दिया गया है। 5000 से
एक तस्वीर अटक गई है
हटती ही नहीं, चिपक गई है
आंखों के कार्निया और रेटिना पर
लटकी हुई है एक निर्वस्त्र कर दी गई स्त्री!
कौन है वह ...?
3 मई को शुरू हुई मैतेई और कुकी समुदायों के मध्य हिंसा पर केंद्र और राज्य की भाजपा नीत सरकारों का रुख एक बार फिर यह स्पष्ट करता है कि ये सरकारें अपने हिन्दू राष्ट्रवाद क
मणिपुर पिछले तीन महीनों से साम्प्रदायिक-नृजातीय दंगों की आग में जल रहा है। वीभत्स से वीभत्स घटनाएं इन दिनों मणिपुर में घटती रही हैं। कुकी महिलाओं के साथ मैतई आतंकी भीड़ ने
मणिपुर को जलते हुए दो महीने से भी अधिक का समय हो गया है परन्तु देश के प्रधानमंत्री एकदम मौन साधे हुए हैं। कोई भी व्यंग्य, कोई कटाक्ष और यहां तक कि कोई भी आग्रह मोदी के मौ
मणिपुर में पिछले दो महीनों से जो कुछ हो रहा है वह गंभीर और चिंताजनक है। लेकिन उससे भी गंभीर और चिंताजनक है देश की सरकार का रुख।
मणिपुर में पिछले दो महीनों से जो कुछ हो रहा है वह गंभीर और चिंताजनक है। लेकिन उससे भी गंभीर और चिंताजनक है देश की सरकार का रुख।
अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह
संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।
आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।