सिडकुल (हरिद्वार) में एक मजदूर की मौत

/sidkul-haridwar-mein-ek-majdoor-ki-maut-0

संघर्ष करने पर मृतक मजदूर परिवार को मिला मुआवजा 

हरिद्वार/ दिनांक 13 फरवरी को एकम्स कंपनी के प्लांट नंबर 3 में एक मजदूर की ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो गई। मजदूर की मृत्यु सेफ्टी टैंक में गिरने से हुई है। मृतक का नाम जितेन्द्र सिंह नेगी उम्र 42 हाल निवास सुमन नगर तथा रहने वाले पौड़ी जिले के हैं। 
    
परिजनों और संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चे द्वारा भी कम्पनी प्रबंधन पर दबाव बनाया गया। संयुक्त संघर्षशील ट्रेड यूनियन मोर्चा के संयोजक एवं फूड्स श्रमिक यूनियन आईटीसी के महामंत्री गोविंद सिंह एवं देवभूमि श्रमिक संगठन हिंदुस्तान यूनिलीवर के अध्यक्ष शिशुपाल सिंह एवं महामंत्री दिनेश कुमार ने घटनास्थल पर जाकर मृतक परिजनों के साथ खड़े होकर कम्पनी प्रबंधन पर दवाब बनाया। लगातार पुलिस प्रशासन व एकम्स कम्पनी के प्रबंधन के द्वारा धमकाने-डराने के बावजूद परिजन डटे रहे। तत्पश्चात परिजनों द्वारा 10 लाख का मुआवजा, मृतक आश्रित को नौकरी एवं अन्य हित लाभ के साथ समझौता किया गया। संयुक्त मोर्चा का मानना था इस पर हत्या का मुकदमा बनता है, कंपनी पर केस होना चाहिए। ऐसे ही न जाने कितनी मजदूरों की जिंदगियां  सिडकुल में तबाह-बर्बाद हो रही है। कोई पूछने वाला नहीं है। कई कंपनियों में मजदूरों ने अपने सहकर्मी की मौत पर खुद ही पैसा इकट्ठा करके उनके अंतिम संस्कार तक किये हैं।  
    
एकम्स प्लांट 2004 में शुरू हुआ। आज हरिद्वार जिले में 20 से अधिक प्लांट हैं। मजदूरों की गाढ़ी कमाई से हर साल एक प्लांट खड़ा हो जाता है जबकि मजदूरों के 4 साल बाद कोड बदल देते हैं जिससे उन्हें ग्रेच्यूटी आदि का लाभ न मिल सके। सरकारों द्वारा पूरी मदद इन मालिकों को की जा रही है। मजदूरों से 12-12 घंटे काम लिया जा रहा है। आए दिन कंपनियों में मजदूरों की जिंदगियां बर्बाद हो रही हैं। किसी तरह न्यूनतम वेतन पर मजदूर जीने को मजबूर हैं। मजदूरों को भी समझ लेना चाहिए कि रोज-रोज के मरने से अच्छा है संगठित हों और इन कंपनी मालिकों और सरकारों के खिलाफ आवाज बुलंद करके मजदूर राज समाजवाद के लिए आवाज उठाये।
    
आज फैक्टरी में मजदूर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने के कारण लगातार दुर्घटना के शिकार हो रहे हैं। ऐसे में जहां एक ओर यह बड़ी चुनौती है कि मजदूर अपनी सुरक्षा के प्रति जागरूक रहें वहीं दूसरी ओर मालिकों द्वारा शासन-प्रशासन के साथ मिली भगत कर जिस प्रकार से पीड़ित परिवारों के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार किया जाता है उससे निपटने के लिए यह जरूरी है कि सिडकुल की तमाम यूनियनें एकजुट होकर ऐसी लड़ाइयों में बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी सुनिश्चित करें एवं पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में संघर्ष करें।                                         --हरिद्वार संवाददाता
 

आलेख

/ameriki-dhamakiyon-ke-sath-iran-amerika-varta

अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।