महिला

भाजपा का दोगला चरित्र

    हमारे देश में दोहरा चरित्र दर्शाने वाले ऐसे तमाम नेता, राजनेता, सांसद, विधायक बेनकाब होते रहे हैं जो बातों में, प्रवचनों में महिलाओं की बराबरी, महिलाओं के सम्मान, महिला सशक्तिकरण की डींगें हांक

एक चायवाली की दास्तान

हरिद्वार में सिडकुल के पास चौक पर एक लड़की चाय का स्टाल लगाती है। लड़की से बात करने पर उसने बताया कि चाय का स्टाल मैं और मेरे पति चलाते हैं। हम लोग बिहार के रहने वाले हैं। उससे पूछा कि बिहार से यहां

हम बच्चों को ‘‘संस्कारी’’ बनाकर रहेंगे

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने हिंदू राष्ट्र बनाने के एजेंडे के तहत देश की महिलाओं को नियंत्रित और संचालित करने की कोशिश करता रहा है। कभी यह निर्देशित करता है कि हिंदू महिलाओं को वीर पुत्र पैदा करने

आदिवासी महिलाओं से बलात्कार के आरोपी पुलिसकर्मी बरी

6 अप्रैल को दिल्ली की विशेष अदालत (अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम सह सत्र जिला न्यायालय) ने 15 साल पहले आंध्र प्रदेश के जी मुदुगुल मंडल के वाकापल्ली में कोंधु जनजाति की 11 मह

पटना की छात्राओं का संघर्ष

महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बातें करने वाले देश में बेटियों को प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा से दूर करने की कवायद जारी है। आजादी के अमृत महोत्सव पर देश की महिलाओं/बेटियों के लिए बड़ी-बड़ी घोषणाएं व दावों

गैर बराबरी से डर नहीं लगता साहब, बराबरी के ढोंग से डर लगता है

हर साल मार्च के पहले हफ्ते से ही टीवी, अखबार से लेकर विज्ञापनों तथा सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर चारों तरफ महिलाओं के विशिष्ट सत्कार की चर्चा होने लगती है। चारों तरफ महिला बराबरी और महिला आदर का ऐसा

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है