इंटरार्क के मजदूर नेता की गिरफ्तारी

रुद्रपुर/ दिनांक 23 दिसम्बर 2023 को पंतनगर थाना पुलिस द्वारा इंटरार्क मजदूर संगठन उधमसिंह नगर के महामंत्री सौरभ कुमार को कायराना तरीके से गिरफ्तार कर लिया। यह गिरफ्तारी इंटरार्क कंपनी प्रबंधन के इशारों पर की गई।
    
सौरभ कुमार इंटरार्क (प्छज्म्त्।त्ब्भ्) बिल्डिंग प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड सिडकुल पंतनगर जिला उधमसिंह नगर (उत्तराखंड) में निलंबित मजदूरों की घरेलू जांच के सिलसिले में कंपनी के भीतर चल रही घरेलू जांच कार्यवाही में शामिल थे कि तभी पंतनगर थाना पुलिस द्वारा सौरभ कुमार को वर्ष 2018 में आंदोलन के दौरान दर्ज किए गए झूठे मुकदमे में कंपनी गेट से गिरफ्तार कर लिया।
    
ध्यान रहे कि यह वही जिला प्रशासन और पुलिस है जो कंपनी प्रबंधन के समक्ष पूरी तरह से आत्मसमर्पण कर चुका है और राष्ट्रीय लोक अदालत, श्रम न्यायालय एवं उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश को विगत लंबे समय से लागू नहीं करा रहा है। डीएम द्वारा एडीएम की अध्यक्षता में गठित जिला स्तरीय कमेटी की मध्यस्थता में सम्पन्न त्रिपक्षीय समझौते को लागू नहीं करा रहा। जबकि इसके लिए सैंकड़ों मजदूरों, महिलाओं द्वारा कई बार डीएम आवास एवं कुमाऊं आयुक्त के कार्यालय तक पदयात्रा निकाली गई। और सामूहिक उपवास तक रखा गया। किंतु इसके पश्चात भी जिला प्रशासन ने कंपनी प्रबंधन के विरुद्ध कोई भी कार्यवाही नहीं की।
    
किंतु यही प्रशासन पूरी निर्लज्जता के साथ में पीड़ित मजदूरों का ही दमन कर रहा है। और दमन की इसी कड़ी में यूनियन महामंत्री सौरभ कुमार की गिरफ्तारी की गई। ताकि मजदूरों के भीतर डर, भय का माहौल कायम कर उन्हें संघर्ष से दूर कर दिया जाए। हालांकि 24 दिसम्बर को जिला कोर्ट ने सौरभ को तुरंत जमानत पर रिहा कर दिया। 
    
ध्यान रहे कि पुलिस द्वारा शनिवार की शाम को सौरभ कुमार को कंपनी गेट से इसलिए गिरफ्तार किया गया था क्योंकि रविवार से 2 जनवरी तक कोर्ट की छुट्टियां पड़ चुकी थीं। उनकी मंशा थी कि अवकाश के कारण सामान्य सी धाराओं में गिरफ्तारी के बावजूद भी सौरभ कुमार को कम से कम 3 जनवरी 2024 तक जेल की सलाखों में ठूंस दिया जाए। और मजदूरों के भीतर डर-भय का वातावरण उत्पन्न करके आंदोलन को कमजोर कर दिया जाए। सौरभ कुमार का प्रबंधन द्वारा 7 माह से भी अधिक समय से गेट बंद कर रखा है। और 23 दिसम्बर को सौरभ कुमार मजदूरों की घरेलू जांच के सिलसिले में शाम के समय कंपनी आए थे। कि तुरंत पुलिस कंपनी गेट पहुंच गई और सौरभ कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया। इससे भी स्पष्ट है कि कंपनी प्रबंधन और पुलिस का किस तरह से जीवंत संपर्क था। अन्यथा पुलिस को कैसे पता चला कि सौरभ कुमार कंपनी आए हैं।
    
भाजपा, आरएसएस और पूंजीपतियों के राज में देश भर में शासन-प्रशासन कंपनी मालिकों के सामने पूर्णतः आत्मसमर्पण कर चुका है। इसीलिए इसे कंपनी राज कहा जाने लगा है। जहां मजदूरों और आम जनता की आवाज को कंपनी मालिकों के इशारों पर निर्ममता के साथ में कुचल दिया जाता है। इसी की एक झलक सौरभ कुमार की गिरफ्तारी में भी दिखाई देती है।
    
किंतु पुलिस की इस कायराना हरकत से मजदूरों को डराया धमकाया नहीं जा सकता है। इससे मजदूर तनिक भी डरने और घबराने वाले नहीं हैं। बल्कि मजदूर और अधिक जोरदार तरीके से अपनी आवाज बुलंद कर पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन, भाजपा सरकार और कंपनी मालिक के गठजोड़ को मुंहतोड़ जवाब देंगे। 
        -रुद्रपुर संवाददाता

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है