विविध

प्रथम मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख के जन्मदिवस पर कार्यक्रम

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भारत की प्रथम शिक्षिका सावित्री बाई फुले की सहयोगी एवं भारत की प्रथम मुस्लिम शिक्षिका फातिमा शेख के जन्मदिवस के अवसर पर 9 जनवरी को ग्राम पटरानी, रामनगर व बदायूं में सभा का आयोजन किया गया।

उत्तराखण्ड निकाय चुनाव और मजदूर वर्ग

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रुद्रपुर/ नगर निकाय चुनाव उत्तराखण्ड में घोषित हो चुके हैं। 23 जनवरी को होने वाले इन चुनावों के लिए सभी प्रमुख राजनैतिक दल ताल ठोंक चुके हैं। उत्तराखण्ड

प्रगतिशील भोजनमाता संगठन का सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न

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हरिद्वार/ उत्तराखंड के हरिद्वार में प्रगतिशील भोजनमाता संगठन का दो दिवसीय सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। सम्मेलन के दूसरे दिन 3 जनवरी 2025 को सम्मेलन क

नयी कृषि विपणन नीति : सरकार का किसानों पर पलटवार

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एक वर्ष से अधिक समय तक चले जुझारू किसान आंदोलन के बाद जब मोदी सरकार तीन काले कृषि कानूनों को वापस लेने को मजबूर हुयी थी तब से ही ये आशंकायें लगायी जा रही थीं कि सरकार बड़ी

त्रिपक्षीय समझौते को लागू करवाने के लिए बेलसोनिका यूनियन का विरोध प्रदर्शन

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गुड़गांव/ दिनांक 10 जनवरी 2025 को बेलसोनिका यूनियन ने श्रम विभाग की मध्यस्थता में हुए 12(3) के त्रिपक्षीय समझौते (दिनांक 01 जून 2023) को लागू करवाने के लि

हिन्दू फासीवादी ये ना करें तो और क्या करें

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कुछ लोग कहते हैं और कई सोचते हैं कि हिन्दू फासीवादियों को मंदिर-मस्जिद की नफरती राजनीति नहीं करनी चाहिए। जहां कहीं भी मस्जिद हैं, मदरसे हैं उनके नीचे हिन्दू मंदिर होने का

अंततः सेन्चुरी मिल में त्रिवार्षिक समझौता सम्पन्न हुआ

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लालकुंआ/ सेन्चुरी पेपर मिल में अगस्त 2024 से नवम्बर 2024 तक चली स्थायी श्रमिकों द्वारा त्रिवार्षिक समझौते को अपनी मांगों के अनुरूप कराने की मुहिम का समाप

अमेरिकी नाकेबंदी के खिलाफ क्यूबा में विशाल मार्च

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20 दिसम्बर को 5 लाख से अधिक क्यूबावासी हवाना के मालेकान से अमेरिका दूतावास तक मार्च करने के लिए सड़कों पर उतरे। क्यूबा के राष्ट्रपति मिगुएल डिआज कैनेल के आह्वान पर आयोजित

लो, एक साल और बीता

चुनावी साल बीतने के बाद भारत लगभग वहीं खड़ा है जहां वह पिछले वर्ष खड़ा था। मणिपुर जलता रहा और हिन्दू फासीवादियों ने पूरे देश में अलग-अलग मुद्दों के जरिये देश में मुसलमानों के प्रति घृणा, वैमनस्य की आग को भड़काने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इस सच्चाई के बावजूद कि आम चुनाव में हिन्दू फासीवादियों को जीत बहुत कठिनाई से मिली है उन्होंने अपने फासीवादी कुकृत्यों को ही अपनी जीत का मूल सूत्र बनाया हुआ है। योगी, हिमंत विस्वा सरमा जैसे कई-कई छोटे-छोटे मोदी अपने राजनैतिक कैरियर को उसी लाइन पर बढ़ा रहे हैं जिस पर चलकर मोदी सत्ता के शीर्ष पर पहुंचे। 

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।