साम्राज्यवाद

कॉप-28 : जलवायु परिवर्तन रोकने का पाखण्ड

30 नवम्बर से 12 दिसम्बर 2023 तक दुबई में लगभग 200 देश जलवायु परिवर्तन पर घड़ियाली आंसू बहाने के लिए इकट्ठा हो रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र के तत्वाधान में 1995 से हर वर्ष जलवा

इस्लाम विरोध : एक साम्राज्यवादी कुचक्र

इजरायल फिलिस्तीन के बीच वर्तमान संघर्ष के दौरान एक बार फिर इस्लाम विरोध चरम पर है। भारत के हिन्दू फासीवादियों से लेकर पश्चिमी साम्राज्यवादी शासक सभी इस्लाम पर निशाना साध रहे हैं। तरह-तरह से बताया ज

नदी से समुद्र तक, आजाद होगा फिलिस्तीन !

फिलिस्तीन के समर्थन में 4 नवम्बर 2023 को वाशिंगटन में रैली

गाजा पट्टी पर इजरायली फौजों द्वारा खूंखार हमले को एक महीने से ज्यादा समय हो गया है। अभी तक लगभग 11,000 फिलिस्तीनी लोगों का नरसंहार हो चुका है। इनमें से आधे से ज्यादा बच्च

कनाडा की संसद में एक नाजी का स्वागत

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद दुनिया के किसी देश की संसद या राजनेताओं ने किसी नाजी हत्यारे के स्वागत का काम नहीं किया था। यहां तक कि नव फासीवादी ताकतें भी नाजी हत

नाइजर से फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों की रुखसती

अफ्रीकी देशों से लुटेरे फ्रांसीसी साम्राज्यवादियों को एक-एक कर खदेड़ा जा रहा है। अब हालिया सैन्य तख्तापलट के शिकार हुए नाइजर से 1500 की संख्या में फ्रांसीसी सेना की वापसी

गैबन में सैनिक तख्तापलट और फ्रांसीसी साम्राज्यवाद

बुरकीना फासो, माली और नाइजर के बाद गैबन में सैनिक तख्तापलट हो गया है। ये सभी देश फ्रांस के उपनिवेश रह चुके हैं। आज भी इन देशों में फ्रांसीसी साम्राज्यवादी प्रभुत्व की स्थ

मोरक्को में भूकम्प, लीबिया में बाढ़ : व्यवस्थाजन्य आपदा

उत्तरी अफ्रीका के देश मोरक्को में 8 सितम्बर (शुक्रवार) की रात को आये भूकम्प से अब तक 3 हजार से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो चुकी है और लाखों लोग विस्थापित हो चुके हैं। हर दि

वियतनाम में बाइडेन

जी-20 शिखर सम्मेलन से भारत से लौटते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन वियतनाम गये। वैसे अमेरिकी राष्ट्रपति की किसी देश की यात्रा सामान्य बात होती है पर वियतनाम की उनकी यात

साझा वक्तव्य : कितनी सफलता कितनी मजबूरी

जी-20 का दिल्ली शिखर सम्मेलन सम्पन्न हो चुका है। भारत की राजधानी दिल्ली में जनता को कैद कर सम्पन्न हुए सम्मेलन की सफलता की घोषणायें की जा रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी इसे अ

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है