गांवों में शराब की दुकानें खोले जाने पर महिलायें-ग्रामीण संघर्षरत

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जनसंघर्ष के दबाव में सरकार पीछे हटी

रामनगर/ उत्तराखण्ड में भाजपा सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में अंग्रेजी शराब की दुकान खोले जाने के विरोध में विभिन्न जगहों पर भड़के आंदोलन ने मुख्यमंत्री धामी को फिलहाल नई दुकानों के आवंटन पर रोक लगाने को बाध्य कर दिया। हालांकि सरकार की घोषणा अभी व्यवहार में लागू होनी बाकी है। 
    
विगत दिनों उत्तराखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में शराब की दुकानें खोले जाने के विरोध में उत्तरकाशी के हर्षिल, रानीखेत (अल्मोड़ा) के सोनी-देवलीखेत और जालीखान तथा दौलाघट; रामनगर (नैनीताल) के पाटकोट और मालधन; पिथौरागढ़ में गंगोलीहाट के डूनी एवं बेरीनाग के उड़ियारी बैंड इत्यादि जगहों पर ग्रामीणों खासकर महिलाओं ने पहल लेकर धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। जल्द ही उनके आंदोलन को व्यापक जन समर्थन हासिल होने लगा, परिणामस्वरूप धामी सरकार को पीछे हटना पड़ा।
    
ग्रामीणों का कहना है कि गांवों में शराब की दुकानें खुलने के कारण लोगों के घर, बच्चों के स्कूल एवं गांव के मंदिर के पास ही शराब की दुकानें भी हो गईं हैं। इससे गांव का शांत माहौल खराब होगा और बच्चों पर बुरा असर पड़ेगा, इसलिये वे ऐसा नहीं होने देंगे। उनका कहना है कि गांवों में वे पीने के पानी एवं स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी से जूझ रहे हैं; नये लड़के पढ़-लिखकर भी बेरोजगार हैं, लेकिन सरकार का इन बुनियादी समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं है। गौरतलब है कि पाटकोट, डूनी एवं उड़ियारी बैंड में ग्रामीण लंबे समय से पीने के पानी की व्यवस्था किये जाने की मांग कर रहे हैं। 
    
पाटकोट में लोगों का कहना है कि होटल वालों ने तो गैरकानूनी तरीके से ट्यूबवेल लगा लिये हैं लेकिन सरकार हमारे लिये कुछ नहीं कर रही है। आज पानी के लिये हम होटल वालों के मोहताज हो गये हैं। इसके अलावा वे पिछले कई सालों से गांव में बैंक की शाखा खोले जाने की मांग कर रहे हैं जो कि अभी तक नहीं खुली लेकिन शराब की दुकान खुल गई। 
    
इसी तरह मालधन में भी ग्रामीण लंबे समय से वहां स्वास्थ्य सुविधाओं की जर्जर हालत को सुधारे जाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन सरकार इतनी बुनियादी मांग को भी गंभीरता से नहीं ले रही है और जगह-जगह शराब की दुकानें खोल रही है।
    
दरअसल धामी सरकार उत्तराखंड को पर्यटन के लिहाज से विकसित कर रहे हैं। इसीलिये होटल-रिजार्ट वालों को खुली छूट भी दी जा रही है और पर्यटकों की अय्याशी का भी विशेष ध्यान रहा जा रहा है। उन्हें शराब आसानी से उपलब्ध हो सके इसके लिये गांवों तक में ठेके खोले जा रहे हैं।
    
हिंदू-मुसलमान के नाम पर लोगों को बांटने वाली इस सरकार और स्वयं को धर्मरक्षक बताने वाले इसके मुख्यमंत्री को मंदिरों के आस-पास यहां तक कि उत्तरकाशी के हर्षिल गांव, जो कि गंगोत्री धाम के एकदम निकट है, एवं रानीखेत (अल्मोड़ा) के सोनी-देवलीखेत एवं जालीखान जैसे गांवों, जो कि बिनसर महादेव मंदिर क्षेत्र में स्थित हैं, में भी शराब की दुकानें खोलने में कोई गुरेज नहीं है।         -रामनगर संवाददाता

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