23 मार्च : शहीदी दिवस पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन

भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू हमारे देश के वो अमर बलिदानी हैं, जो 23 मार्च, 1931 के दिन हंसते-हंसते फांसी के फंदों पर झूल गये थे। अपने देश और समाजवाद के महान उद्देश्य के लिये कुर्बान होने वाले ये महान क्रांतिकारी आज भी लोगों के दिलों में बसते हैं। उनके अधूरे सपनों को पूरा करने के क्रांतिकारी संघर्ष में लगे संगठन प्रतिवर्ष 23 मार्च को शहीदी दिवस के रूप में मनाते हैं, प्रभात फेरियां निकालते हैं और सभायें-गोष्ठियां कर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं साथ ही उनके क्रांतिकारी विचारों से लोगों को परिचित कराते हैं। इस वर्ष भी 23 मार्च : शहीदी दिवस के दिन अनेकों कार्यक्रम किये गये।

राजधानी दिल्ली की शाहबाद डेरी की बस्ती और बाजार में सुबह प्रभात फेरी निकाली गई और शाम को एक सभा आयोजित कर भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू को श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रभात फेरी एवं सभा में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन एवं जन अभियान-दिल्ली से जुड़े संगठनों ने भागीदारी की।

फरीदाबाद में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा शहीद पार्क, सेक्टर-55 में एक सभा का आयोजन कर अमर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और आवासीय परिसर में जुलूस निकाला गया। सभा एवं जुलूस कार्यक्रम में भीम आर्मी, पूर्वांचल विकास मंच, भोजपुरी अवधी समाज, मजदूर मोर्चा, गुरुद्वारा कमेटी सेक्टर, रेजिडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन एवं हाउसिंग बोर्ड के प्रतिनिधियों एवं वकीलों-बुद्धिजीवियों ने भी भागीदारी की।

गुड़गांव में इंकलाबी मजदूर केंद्र द्वारा आई एम टी मानेसर के काकरोला-भांगरोला में प्रभात फेरी निकाली गई। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि हमें भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू के क्रांतिकारी जीवन और बलिदान से सीख लेते हुये आज के अंधेरे दौर में भी संघर्षों की लौ जलानी होगी और क्रांतिकारी संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिये मजदूर वर्ग की फौलादी एकता कायम करनी होगी।

हरिद्वार में सुभाष नगर में नुक्कड़ सभायें आयोजित कर जुलूस निकाला गया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह ने साम्राज्यवाद को खुली डकैती बोला था लेकिन केंद्र की मोदी सरकार साम्राज्यवादियों की अगुवाई वाले जी-20 की मेजबानी कर रही है। ढिकुली (रामनगर) में इस माह के अंत में होने जा रही जी-20 की एक तैयारी बैठक के आयोजन के लिये प्रशासन ने पंतनगर से लेकर रुद्रपुर और रामनगर तक सड़क किनारे फड़-खोखा और ठेला लगाकर गुजर-बसर करने वाले गरीबों को उजाड़ दिया है, ताकि विदेशियों को देश की गरीबी न नज़र आये।

नुक्कड़ सभाओं और जुलूस में इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, परिवर्तनकामी छात्र संगठन, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन, फूड्स श्रमिक यूनियन, एवरेडी मजदूर कमेटी और राजा बिस्किट संगठन के कार्यकर्ताओं ने भागदारी की।

इसके अलावा हरिद्वार में ही राजा बिस्किट कंपनी के अवैध तालाबंदी के विरुद्ध आंदोलनरत मजदूरों ने फैक्टरी गेट पर ही शहीदी दिवस मनाकर अमर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की और शोषण के विरुद्ध संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया। श्रद्धांजलि सभा में देवभूमि श्रमिक संगठन, हिंदुस्तान यूनीलिवर, कर्मचारी संघ सत्यम ऑटो, भेल मजदूर ट्रेड यूनियन एवं इंकलाबी मजदूर केंद्र के प्रतिनिधियों ने भी भागीदारी की।

साथ ही भेल मजदूर ट्रेड यूनियन ने हरिद्वार के भगतसिंह चौक पर एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की, जिसमें वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव ने देश को आजाद कराने के लिये अपनी जान कुर्बान कर दी लेकिन आजाद भारत की पूंजीवादी सरकारों ने शहीदों के सपनों को कुचल कर रख दिया और आज मोदी सरकार तो एकदम खुलेआम कारपोरेट पूंजीपतियों के हितों में नीतियां और क़ानून बना रही है।

रामनगर में अमर शहीदों को याद करते हुये सुबह प्रभात फेरी निकाली गई एवं शाम को एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। प्रभात फेरी लखनपुर क्रांति चौक से शुरू हुई और नगर के विभिन्न मार्गों से होते हुये शहीद भगतसिंह चौक पहुंच कर एक सभा में तब्दील हो गई। सभा में वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह और उनके साथी न सिर्फ ब्रिटिश साम्राज्यवादियों की गुलामी से देश को आजाद कराना चाहते थे अपितु देश के भीतर जमींदारों और पूंजीपतियों के शोषण को भी खत्म करना चाहते थे। प्रभात फेरी में परिवर्तनकामी छात्र संगठन, उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं साइंस फार सोसाइटी के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की। शाम को शहीद पार्क में हुई सांस्कृतिक संध्या में क्रांतिकारी एवं प्रगतिशील कुमाऊंनी गीत गाये गये।

काशीपुर के जसपुर खुर्द में श्रद्धांजलि सभा कर अमर शहीदों को याद किया गया। सभा में वक्ताओं ने कहा कि भगतसिंह 1917 की रूस की क्रांति से बहुत अधिक प्रभावित थे और क्रांति कर भारत में मजदूर राज-समाजवाद कायम करना चाहते थे। श्रद्धांजलि सभा में इंकलाबी मजदूर केंद्र, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन और परिवर्तनकामी छात्र संगठन के कार्यकर्ताओं ने भागीदारी की।

हल्द्वानी में परिवर्तनकामी छात्र संगठन ने डी डी पंत पार्क में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जिसमें प्रगतिशील महिला एकता केंद्र और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन से जुड़े साथियों ने भी भागीदारी की।

कालाढुंगी में क्रांतिकारी किसान मंच और क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के कार्यकर्ताओं ने अमर शहीदों की याद में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की।

रुद्रपुर में विभिन्न मजदूर संगठनों, सामाजिक संगठनों तथा सिडकुल की ट्रेड यूनियनों से जुड़े लोगों ने स्थानीय अंबेडकर पार्क में एकत्र होकर शहीदों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान हुई सभा में वक्ताओं ने कहा कि भगत सिंह और उनके साथियों का सपना आज भी अधूरा है, कि आजादी के बाद देश की विभिन्न पूंजीवादी सरकारों ने पूंजीपति वर्ग की सेवा करते हुए देश की मजदूर मेहनतकश जनता के शोषण-उत्पीड़न को लगातार बढ़ाने का ही काम किया है। केंद्र की मोदी सरकार ने तो निर्लज्जता की सभी हदें पार कर उदारीकरण-निजीकरण की लुटेरी नीतियों को द्रुत गति से आगे बढ़ा दिया है। देशी-विदेशी पूंजी की सेवा में मजदूरों के श्रम कानूनों पर व्यापक हमला बोल दिया है और सरकारी-सार्वजनिक उपक्रमों मिट्टी के भाव पूंजीपति वर्ग को बेचा जा रहा है। कार्यक्रम में इंकलाबी मजदूर केन्द्र, मजदूर सहयोग केन्द्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन, सीपीआई, मजदूर अधिकार संघर्ष अभियान (मासा), भारतीय किसान यूनियन, समता सैनिक दल श्रमिक संयुक्त मोर्चा उधमसिंह नगर, भगवती श्रमिक संगठन, बजाज मोटर कर्मकार यूनियन, एडविक यूनियन, कारोलिया लाइटिंग यूनियन, महिंद्रा एंड महिंद्रा कर्मचारी यूनियन, नैस्ले कर्मचारी संगठन, ऑटो लाइन एंप्लाइज यूनियन, रिद्धि सिद्धि कर्मचारी संगठन, टाटा आटोकाम सिस्टम्ज, गुजरात अंबुजा कर्मकार यूनियन, इन्टरार्क मजदूर संगठन, यजाकी वर्कर्स यूनियन इत्यादि से जुड़े साथियों ने भागीदारी की।

पंतनगर में इंकलाबी मजदूर केंद्र और ठेका मजदूर कल्याण समिति ने प्रभात फेरी निकालकर अमर शहीदों को याद किया और शहीद चौक पर सभा की।

लालकुआं में अमर शहीदों को याद करते हुये काररोड, बिन्दुखत्ता में प्रभात फेरी निकाली गई, जिसमें परिवर्तनकामी छात्र संगठन, प्रगतिशील महिला एकता केंद्र एवं इंकलाबी मजदूर केंद्र ने भागीदारी की।

उत्तर प्रदेश के बरेली और मऊ में भी शहीदी दिवस पर कार्यक्रम किये गये। बरेली में परिवर्तनकामी छात्र संगठन ने बंशीनगला, मढ़ीनाथ में सांस्कृतिक संध्या कर शहीदों को याद किया। इस दौरान गीतों-कविताओं-नाटक इत्यादि के माध्यम से शहीदों के विचारों को जानने-समझने, लोगों के बीच उन्हें प्रचारित करने तथा समाज में मौजूद सामाजिक समस्याओं के विरुद्ध संगठनबद्ध होकर संघर्ष करने का आह्वान किया गया।

मऊ में भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू के बलिदान को याद करते हुए इंकलाबी मजदूर केंद्र, क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन व ग्रामीण मजदूर यूनियन की ओर मशाल जुलूस निकाला गया जो कि आजमगढ़ मोड़ से चल कर रोडवेज, बालनिकेतन, कोतवाली, रौजा होते हुए सदर चौक पहुंचा और फिर सदर चौक से वापस रौजा पहुंच कर सभा में तब्दील हो गया। मशाल जुलूस में माकपा, भाकपा माले, किसान संग्राम समिति और राष्ट्रवादी जनवादी मंच के कार्यकर्ताओं ने भी भागीदारी की। सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने पूंजीवाद, साम्राज्यवाद और फासीवाद के विरुद्ध लड़ाई तेज करने का आह्वान किया। -विशेष संवाददाता

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है