बेलसोनिका मजदूरों ने शुरू किया प्रतिरोध धरना

बेलसोनिका

बेलसोनिका

12 अक्टूबर से बेलसोनिका यूनियन के बर्खास्त पदाधिकारी और मजदूरों ने लघु सचिवालय, गुड़गांव, हरियाणा में प्रतिरोध धरना शुरू कर दिया है।
    
ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार द्वारा ठेका मजदूरों को यूनियन की सदस्यता दिये जाने पर यूनियन रजिस्ट्रेशन रद्द करने के खिलाफ 8 अक्टूबर 2023 को डीसी कार्यालय पर एक प्रतिरोध सभा का आयोजन किया गया था। इसी प्रतिरोध सभा में यूनियन के प्रधान ने यूनियन के आगे के कार्यक्रमों की घोषणा की जिसके तहत 9 अक्टूबर से कंपनी में यूनियन पदाधिकारी काम के दौरान भूख हड़ताल पर रहेंगे और बर्खास्त सभी मजदूर साथी लघु सचिवालय में पक्का मोर्चा लगाएंगे।  
    
इसी के तहत 9 अक्टूबर से कंपनी में यूनियन पदाधिकारी काम के दौरान भूख हड़ताल पर हैं और बर्खास्त सभी मजदूरों ने 12 अक्टूबर से लघु सचिवालय में प्रतिरोध धरना शुरू कर दिया है।
    
दिन-रात जारी धरने पर बर्खास्त मजदूरों के साथ अन्य मजदूर भी शामिल होते हैं। मजदूरों ने धरना स्थल पर ही सामूहिक रसोई शुरू कर दी है जिसमें मजदूरों द्वारा ही सहयोग किया जा रहा है। 
    
धरना स्थल पर 15 अक्टूबर को परिजनों की एक सभा आयोजित की गई। सभा में सामूहिक रूप से तय किया गया कि 19 अक्टूबर को ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार और प्रबंधन का पुतला फूंका जाएगा। 19 तारीख को राजीव चौक से जुलूस निकालते हुए धरना स्थल, लघु सचिवालय तक पहुंचे। इसमें ए और सी शिफ्ट के मजदूर शामिल हुए। उसके बाद लघु सचिवालय के गेट पर एक सभा की गई जिसमें शासन-प्रशासन और प्रबंधन के गठजोड़ को बेनकाब किया गया। सभा में अपने  संघर्ष को मजबूत करने का संकल्प लिया गया और  के लिए संघर्ष को और ज्यादा व्यापक बनाने व हर मजदूर तक ले जाने का निश्चय किया। सभा के बाद लघु सचिवालय के गेट पर ही ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार और प्रबंधन के गठजोड़ का पुतला फूंका गया। इसी दौरान एक ज्ञापन भी मुख्यमंत्री हरियाणा को दिया गया जिसमें यूनियन के पंजीकरण को बहाल करने व बर्खास्त सभी मजदूरों को काम पर वापस लेने सहित अन्य मांगों को पूरा करने की मांग की।
    
13 अक्टूबर को यूनियन पंजीकरण रद्द करने के खिलाफ चंडीगढ़ हाईकोर्ट में लगाई गई अपील की सुनवाई थी। इस सुनवाई पर जज महोदय ने प्रबंधन की तरफ से पेश हुए वकील को फटकार लगाई कि यूनियन पंजीकरण को रद्द करने की इतनी जल्दबाजी क्या थी? जब 25 तारीख को इस संबंध में कोर्ट में सुनवाई थी, तो 23 तारीख को ही पंजीकरण रद्द क्यों करवा दिया। जज महोदय ने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार द्वारा यूनियन रद्द करने के 20 दिन में यूनियन के बैंक अकाउंट को सीज करने के आदेश पर भी यूनियन को राहत दी। कोर्ट के इस आदेश से यूनियन और मजदूरों को बड़ी राहत मिली है और उनके हौंसले मजबूत हुए हैं। यूनियन के रद्द करने के खिलाफ अगली सुनवाई 7 नवंबर को है। 
    
24 अक्टूबर दशहरे के दिन धरना स्थल पर पूंजीवाद-साम्राज्यवाद का पुतला बनाया गया और सायं के समय उसे फूंका गया।
    
27 अक्टूबर को परिवर्तनकामी छात्र संगठन द्वारा यूनियन और मजदूरों के संघर्ष को समर्थन देते हुए धरना स्थल पर सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया गया। इसमें अपनी ड््यूटी के बाद ए शिफ्ट के मजदूर भी शामिल हुए। क्रांतिकारी गीतों के साथ जोशो-खरोश से संघर्ष के नारे लगाए गये और मजदूरों का हौंसला बढ़ाया गया। छात्रों ने बात रखी कि सब जगह अपने-अपने स्तर पर संघर्ष चल रहा है। छात्र भी अपनी शिक्षा के लिए संघर्ष कर रहे है। बेलसोनिका मजदूरों के संघर्ष से उन्हें भी अपने संघर्षों में हौंसला मिलता है।
    
30 अक्टूबर को यूनियन के पंजीकरण को रद्द करने और वर्तमान में कंपनी के हालात पर एक प्रेस कान्फ्रेंस का आयोजन किया गया है जिसमें विस्तार से इस विषय पर यूनियन द्वारा बात रखी जाएगी। इसके बाद यूनियन की योजना ठेका मजदूरों पर एक मजदूर कन्वेंशन और मजदूर-किसान पंचायत करने की है।     -गुड़गांव संवाददाता

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है