एक मजदूर की व्यथा

    मेरा नाम श्याम सिंह है। मैं राजीव नगर फरीदाबाद में रहता हूं और परमालपुर कैमूर बिहार का स्थाई निवासी हूं। Talbrose आटोमोटिव components Ltd फरीदाबाद 14/1 में काम करने के दौरान प्रेस मशीन का सेंसर नहीं काम करने की वजह से मेरे राइट हैंड की चार उंगलिया कट गईं। यहां पर हेल्पर होने के बावजूद भी मेरे से आपरेटर और हेल्पर दोनों का काम कराया जा रहा था। न करने पर सुपरवाइजर बोलता था कि भगा दूंगा। ऐसी धमकी मेरे को रोज मिला करती थीं, उसके बावजूद भी मैं काम करता रहा। यहां पर 12 घंटे मशीन चलाने के बाद भी प्रोडक्शन नहीं पूरा होता है और सुपरवाइजर प्रोडक्शन बढ़ाता जाता है। इस कंपनी में लोगों का शोषण होता है लोगों से बदतमीजी से बात की जाती है। लोगों की कोई रिस्पेक्ट नहीं है। इस कंपनी में महिला मजदूरों को मात्र 9,000रु.सैलरी दी जाती है जबकि महिला-पुरुष दोनों बराबर काम करते हैं। इस कंपनी में मारुति सुजुकी, टाटा, हीरो होंडा जैसी कंपनियों के लिए गैस किट बनती है। 
    -श्याम सिंह, फरीदाबाद (मजदूर का नाम बदला हुआ है)

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9 मई 1945 को फासीवादी जर्मनी के आत्मसमर्पण करने के बाद फासीवाद के विरुद्ध युद्ध में विजय मिल गयी थी। हालांकि इस विजय के चार महीने बाद जापान के हिरोशिमा और नागासाकी में अम

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता।