अर्थव्यवस्था

आटा और डाटा

देश के संघी प्रधानमंत्री ने संघ परिवार के जमीनी प्रचार को यह सीख दी कि वे जाकर जनता को यह बतायें कि यदि आटा महंगा हुआ है तो डाटा उससे भी ज्यादा सस्ता हुआ है। इसलिए संघी स

महंगाई की मार: कहां गई मोदी सरकार?

टमाटर समेत लगभग सभी सब्जियों के आसमान छूते भावों ने गरीब आदमी ही नहीं मध्यमवर्गीय लोगों तक के होश उड़ा दिये हैं। कभी चुनावों के वक्त ‘बहुत हुई महंगाई की मार, अबकी बार मोदी

सब्सिडी खर्च बढ़ाने को मजबूर सरकार

केन्द्र सरकार ने सब्सिडी सम्बन्धी जरूरतों को पूरा करने के लिए अतिरिक्त सब्सिडी बिल संसद में अनुमति के लिए पेश किया और उसे तत्काल अनुमति मिल गयी।

जच्चा-बच्चा मौत के मामले में भारत की स्थिति चिंताजनक

दुनिया भर में जच्चा-बच्चा की होने वाली मौतों के मामले में भारत की स्थिति अत्यधिक खराब एवं चिंताजनक है। मातृ दिवस के अवसर पर दक्षिण अफ्रीका की राजधानी केपटाउन में हुए ‘अंतर्राष्ट्रीय मातृ नवजात स्वा

अमृतकाल किसके लिए ?

सरकार द्वारा घोषित अमृतकाल में हम लोग रह रहे हैं। इस पर सवाल उठना लाजिमी है कि यह तथाकथित अमृतकाल किसके लिए अमृतकाल है और किसके लिए विषकाल?

आंकड़ों की एक और बाजीगरी

भारत सरकार द्वारा जारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर पिछले कुछ समय से सवाल उठने शुरू हो गये हैं। आज सरकार अलग-अलग तरह के हेर-फेर के जरिए अपने मनमाफिक आंकड़े जुटाने में लगी रहती है। ऐसा ही कुछ अभी जारी पी

युवाओं की हत्यारी व्यवस्था

हमारे देश में युवाओं की आत्महत्या का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। बढ़ती बेरोजगारी, असुरक्षित भविष्य, संबंधों में व्यक्तिवाद का बोलबाला आदि बड़े पैमाने पर युवाओं को अलगाव, अवसाद की ओर ढकेल रहे हैं। आत्महत्या

अडाणी के साथ गोता लगाते कर्जदाता एलआईसी व बैंक

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के चलते अडाणी के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है। खुद अडाणी दुनिया के तीसरे नम्बर के धनाढ्य से 38 वें स्थान पर खिसक गये हैं। बीते एक माह में उनकी कंपनियों के शेयरों का बाजार पूं

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है