यूनियन के अधिकार के लिए संघर्षरत यूनीप्रेस कम्पनी के मजदूर

रेनाल्ट-निसान आटो कम्पनी के स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली जापानी यूनीप्रेस कारपोरेशन के मजदूर बीते 2 माह से संघर्षरत हैं। तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित इस कंपनी ने यूनियन बनाने के आरोप में 127 स्थायी मजदूरों को काम से निकाल दिया है। 
    
मजदूरों ने यूनीप्रेस इंडिया थोजिल्लहार संघम नामक यूनियन बनायी जो सीटू से सम्बद्ध थी। 23 अगस्त को परम्परा के अनुरूप अपना यूनियन का झण्डा फैक्टरी गेट के बाहर फहराया और यूनियन की नेम प्लेट बोर्ड पर लगा दी। पर प्रबंधन ने तत्काल ही झण्डा व नेमप्लेट हटा दिया। जवाब में मजदूरों ने झण्डा फिर से लगा दिया। साथ ही मजदूरों ने अन्य मजदूरों के साथ एक रैली भी आयोजित की। 
    
जिसके बाद कार्यवाही करते हुए प्रबंधन ने 127 स्थायी मजदूरों को काम पर लेने से इंकार कर दिया। प्रबंधन अकुशल ठेका मजदूरों से उत्पादन कराना जारी रखे हुए हैं। श्रम विभाग ने मजदूरों के निष्कासन को गलत बताते हुए वार्ता रखी पर 27 सितम्बर की वार्ता में प्रबंधन नहीं आया। 
    
दरअसल प्रबंधन किसी भी कीमत पर यूनियन को मान्यता देने को तैयार नहीं है। 28 सितम्बर को उपवास का कार्यक्रम कर रहे मजदूरों पर पुलिस ने हमला बोला व कुछ मजदूरों को गिरफ्तार कर लिया। 
    
अब सीटू के नेतृत्व में यूनियन ने मुख्य कंपनी रेनाल्ट निसान से मांग की है कि वह कानूनों का उल्लंघन करने वाली यूनीप्रेस कम्पनी से पुर्जे न खरीदे। 
    
मजदूरों के यूनियन के अधिकार को यद्यपि अभी कानूनी तौर पर समाप्त नहीं किया गया है पर सरकारों की पूंजीपरस्ती के आज के दौर में कम्पनी प्रबंधन यूनियन रहित फैक्टरी की आस पालने लगे हैं। मजदूर जब यूनियन बनाने की ओर बढ़ते हैं तो वे अड़ंगे अड़ाते हैं और यूनियन बन जाने पर किसी भी हद तक जा उसके खात्मे का प्रयास करते हैं। 
    
हरियाणा से लेकर तमिलनाडु के कारखानों तक हर जगह मालिकों का यही व्यवहार महसूस किया जा रहा है कि मजदूरों से उनके लड़ने का औजार ही छीन लिया जाए। 

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