फासीवाद / साम्प्रदायिकता,

‘जय फिलिस्तीन’ से इतनी बेचैनी क्यों?

बीते दिनों संसद में जब सांसदों का शपथ ग्रहण चल रहा था तब सभी नेता शपथ के बाद तरह-तरह के नारे लगा रहे थे। भाजपा सांसद जहां ‘जय श्री राम’ व ‘भारत माता की जय’ के नारे लगा रह

साम्प्रदायिक हिंसा बढ़ाकर चुनावी नुकसान की भरपाई करते संघी

जब मोदी सरकार फिर से सत्ता में आयी तो यह पूर्व की भांति भाजपा के एकछत्र बहुमत वाली सरकार नहीं थी। एनडीए गठबंधन के सहयोगियों के कंधों पर टिकी इस सरकार से तमाम लोगों को उम्

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ और भाजपा

भूतपूर्व संघी प्रचारक नरेन्द्र मोदी के दिल्ली की गद्दी पर काबिज होने से लेकर अब तक संघ व उनके रिश्ते तथा संघ व भाजपा के रिश्ते पर लगातार चर्चा होती रही है। वैसे यह चर्चा

अल्पसंख्यक मुक्त सरकारी गठबंधन

सरकारी गठबंधन यानी राजग के लोकसभा में कुल 293 सांसद हैं। पर यह गठबंधन अल्पसंख्यक मुक्त है। इसमें एक भी मुसलमान, ईसाई या सिख सांसद नहीं है। एक बौद्ध सांसद जरूर है। ये सारे

एक राष्ट्र-एक चुनाव-समान नागरिक संहिता : फासीवादी एजेण्डा

गृहमंत्री अमित शाह ने घोषणा की है कि सत्ता में आने पर वे अगले 5 वर्षों में पूरे देश में एक साथ चुनाव करायेंगे व साथ ही समान नागरिक संहिता लागू करेंगे। सुनने में पहली नजर

अफवाह या हकीकत

यह राजनैतिक अफवाह तेजी से फैल या फैलायी जा रही है कि संघ और भाजपा के सम्बन्ध मोदी काल में दिन-ब-दिन खराब होते गये हैं। कि मोदी ने पहले गुजरात में संघ को किनारे लगाया और अ

बनभूलपुरा हिंसा : फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट (अंश) भाग-1

(8 फरवरी को हल्द्वानी के मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनभूलपुरा में नगर निगम एवं जिला प्रशासन द्वारा एक मदरसा और मस्जिद को ढहाने के दौरान हुई हिंसा, पथराव, आगजनी एवं पुलिस फा

मोदी ने मुंह खोला?

आधा चुनाव बीतते-बीतते मोदी को मुंह खोलना पड़ गया। कोई आश्चर्य कर सकता है कि मोदी तो लगातार ही इतना बोलते रहते हैं कि भाजपा के दूसरों को बोलने को नहीं मिलता। और अब तो उन्हो

अमित शाह की सम्पत्ति में 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि। आपकी सम्पत्ति में कितनी?

इकानोमिक टाइम्स के अनुसार जो हलफनामा अमित शाह ने भरा है उसके अनुसार पिछले पांच साल में उनकी सम्पत्ति में 100 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि दर्ज की गई। 2019 के लोकसभा चुनाव

मोदी ये ना करे तो क्या करे

आम चुनाव के पहले चरण के मतदान के बाद कुछ ऐसा हुआ कि मोदी एण्ड कम्पनी को लगने लगा कि चुनाव जीतना है तो अपने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना होगा। मोदी का ब्रह्मास्त्र क्या था।

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।