उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ का तीसरा द्विवार्षिक सम्मेलन

लखनऊ/ उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ का तीसरा द्विवार्षिक सम्मेलन 28, 29 फरवरी 2024 को गांधी प्रेक्षागृह लखनऊ में आयोजित किया गया। सम्मेलन में बिजली विभाग के निविदा कर्मी प्रदेश के कोने-कोने से एक दिन पहले रात में ही सम्मेलन स्थल पर पहुंच गए। 28 फरवरी को प्रातः 10 बजे गांधी प्रेक्षागृह के मुख्य हाल में जोशीले नारों और उत्साह के साथ सम्मेलन प्रारंभ हुआ। सम्मेलन की अध्यक्षता संगठन के अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने की। सम्मेलन का संचालन उपाध्यक्ष हर्षवर्धन और ओम हरि ने संयुक्त रूप से किया। मुख्य अतिथि और मुख्य वक्ता संगठन के संस्थापक के डी मिश्रा रहे।
    
सम्मेलन में पिछले सम्मेलन से अब तक लगभग बीते दो वर्षों का राजनीतिक सामाजिक  ब्यौरा पेश किया गया। इन वर्षों में आए विभिन्न बदलावों और मजदूरों-कर्मचारियों के हालातों में आए परिवर्तनों पर विस्तार से चर्चा की गई। 
    
सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में संबोधित करते हुए संगठन के महामंत्री देवेंद्र कुमार पांडेय ने कहा भले ही दुनिया के ट्रेड यूनियन मजदूर वर्ग को शोषण-उत्पीड़न से मुक्ति दिलाने की बात कर रहे हों लेकिन भारत सरकार द्वारा श्रम कानूनों को रद्द करके चार नई श्रम संहिताएं लागू कर देना ट्रेड यूनियन एवं मजदूर वर्ग के लिए एक बड़ी चुनौती है।  
    
सम्मेलन में वक्ताओं ने ज्वलंत समस्याओं के इर्द-गिर्द परिचर्चा की। जिसमें मुख्य रूप से मार्च 2023 में हटाए गए निविदाकर्मियों को कार्य पर वापस लाने एवं न्यूनतम वेतन रुपए 26,000 किए जाने का मुद्दा प्रमुख रहा। सम्मेलन में पहले दिन विद्युत निविदाकर्मियों की 20 सूत्रीय मांगों पर मजदूर वक्ताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त किए। वक्ताओं ने बिजली विभाग में हो रही घटनाओं पर रोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि सुरक्षा उपकरणों के अभाव में आए दिन दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। बिजली के जलने से लेकर खंभे से गिरने की घटनाएं आम हैं। इन घटनाओं में उनके साथियों की मौतें हो रही हैं या वे अपंगता के शिकार हो रहे हैं। 
    
सम्मेलन को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन निविदा/संविदा कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष मोहम्मद खालिद ने कहा कि मजदूरों का संघर्ष ही आए दिन हो रहे आर्थिक और मानसिक शोषण से मुक्ति दिला सकता है। उन्होंने सरकार से मांग की कि मार्च 2023 में आंदोलन के दौरान हटाए गए विद्युत निविदाकर्मियों को ऊर्जा मंत्री ए.के. शर्मा की घोषणा के अनुसार कार्य पर वापस लिया जाए। पूर्व से कार्य कर रहे उपकेंद्र परिचालकों के स्थान पर सैनिक कल्याण निगम से रिटायर फौजियों को रखे जाने के आदेश को वापस लिया जाए। और मानक के अनुरूप कर्मचारियों की तैनात की जाए तथा अनुबंध की शर्तों के अनुरूप कर्मचारियों से 8 घंटे 26 दिन कार्य लिया जाए एवं अतिरिक्त कार्य का अतिरिक्त वेतन दिया जाए।         

सम्मेलन को क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के कार्यकर्ता सतीश ने भी संबोधित किया।  उन्होंने विद्युत निविदाकर्मियों को सम्मेलन की बधाई दी और कहा कि यह संगठन उत्तर प्रदेश के विद्युत निविदाकर्मियों का जुझारू संगठन है। आज देश की पूंजीवादी व्यवस्था और उसको चलाने वाली सरकारें मजदूर वर्ग पर हमलावर हैं। सरकारें पूंजीवादी आर्थिक नीतियों को धड़ल्ले से आगे बढ़ा रही हैं। पूंजीपति वर्ग अपने मुनाफे को तीव्र करने के लिए मजदूरों-कर्मचारियों का शोषण लगातार बढ़ा रहा है। तो दूसरी तरफ वह सरकारों के जरिए सार्वजनिक संस्थानों पर कब्जा कर रहा है। पूंजीपति वर्ग द्वारा सार्वजनिक संस्थानों पर यही कब्जा और उसके मुनाफे की नीतियां विभागों में ठेका, संविदा प्रथा को बढ़ावा दे रही हैं। इससे मजदूरों की हालत लगातार खराब हो रही है। मजदूर जब अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं तो उनका दमन किया जाता है। और मजदूर वर्ग की एकता को तोड़ने के लिए उसे जाति-धर्म के झगड़े में फंसाया जाता है। 
    
प्रदेश उपाध्यक्ष हर्षवर्धन ने संघ की सामान्य राजनीतिक रिपोर्ट पेश करते हुए कहा कि दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने हेतु मानक के अनुरूप सुरक्षा उपकरण दिए जाएं। घायल कर्मचारी का कैशलेस इलाज कराया जाए। कार्य के दौरान बिजली की चपेट में आने, खंबे से नीचे गिर जाने या किसी अन्य कारण से घायल हुए कर्मचारियों द्वारा उपचार में व्यय की गई धनराशि को संविदाकारों के बिल से काटकर दिया जाए। महिला कर्मचारियों को मातृत्व एवं प्रसूति अवकाश दिया जाए और कर्मचारियों को 60 वर्ष की अवस्था तक कार्य करने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा कि इन तमाम समस्याओं का समाधान जब तक नहीं हो जाता तब तक संघ द्वारा चरणबद्ध तरीके से संघर्ष किया जाता रहेगा। 
    
सम्मेलन के पहले दिन कार्यक्रम के अंत में क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के कार्यकर्ता सतीश को विद्युत निविदाकर्मियों का 20 सूत्रीय ज्ञापन इस आशय के साथ दिया गया कि वे ज्ञापन को अपने संगठन के माध्यम से प्रदेश सरकार को भेजें और समस्याओं का समाधान करने हेतु संगठन का एक प्रतिनिधि मंडल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं ऊर्जा मंत्री से मिले। 
    
28 फरवरी को कार्यक्रम के अंत में यह प्रस्ताव रखा गया कि कर्मचारी अपनी लंबित मांगों को लेकर 18 मार्च को ऊर्जा मंत्री के आवास पर जाएंगे और ऊर्जा मंत्री से अपनी मांगें पूरी करने के लिए बात करेंगे। इस प्रस्ताव को सभी ने हाथ उठाकर सर्व सहमति से पास किया। 
    
29 फरवरी 2024 को सम्मेलन के दूसरे दिन हुए चुनाव में मोहम्मद खालिद को प्रदेश अध्यक्ष, हर्षवर्धन, विवेक माधुरे, सुरेंद्र कुमार पांडे को प्रदेश उपाध्यक्ष, देवेंद्र कुमार पांडे को प्रदेश महामंत्री, प्रमोद मिश्रा को प्रदेश कोषाध्यक्ष, रण बहादुर सिंह यादव को प्रदेश संगठन मंत्री सर्वसम्मत से निर्विरोध चुना गया। सम्मेलन में लगभग एक हजार कर्मचारी मौजूद रहे।         -लखनऊ संवाददाता

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