मजदूर आवाज

कनाडा : सार्वजनिक क्षेत्र के लाखों कर्मचारी हड़ताल पर

8 दिसम्बर से कनाडा के क्यूबेक प्रांत के लाखों कर्मचारी एक सप्ताह की हड़ताल पर हैं। इनमें अध्यापक, स्वास्थ्य क्षेत्र के कर्मचारी के अतिरिक्त अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मच

बारिश और पेड़

कल रात धरने पर बारिश हुई,
धरना स्थल पर ही कुछ पेड़ हैं 
जो अपनी ओट से अपने
नीचे आने वाले जीवों को धूप, बारिश से 
बचाते रहते हैं
जब बारिश होती है 

ब्रह्म हत्या

‘भिक्षाम देही’ टीवी पर सीरियल चल रहा है। तिवारी जी गांव में बैठकर कोई नाटक देख रहे हैं। कभी किसी ब्राह्मण को भिक्षा मांगकर जीवन यापन करते हुए देखते हैं, तो कभी किसी आश्रम

अनिश्चितता के दौर से गुजरती सेन्चुरी पेपर मिल

लालकुंआ/ वैसे तो अनिश्चितता पूंजीवादी एवं साम्राज्यवादी समाजों में लगातार बनी रहती है। निश्चितता केवल इस बात में निहित है कि संकटग्रस्तता की ओर बढ़ता समाज

यूनियन के अधिकार के लिए संघर्षरत यूनीप्रेस कम्पनी के मजदूर

रेनाल्ट-निसान आटो कम्पनी के स्पेयर पार्ट्स बनाने वाली जापानी यूनीप्रेस कारपोरेशन के मजदूर बीते 2 माह से संघर्षरत हैं। तमिलनाडु के कांचीपुरम जिले में स्थित इस कंपनी ने यून

फोर्ड : यूनियन का समझौता-मजदूर आक्रोशित

अमेरिका में लम्बे समय से चल रही आटो मजदूरों की हड़ताल को यूनियन नेतृत्व क्रमशः समाप्त करने की ओर बढ़ रहा है। अमेरिकी आटो मजदूरां का ट्रेड यूनियन केन्द्र यूनाइटेड आटो वर्कर्

जाति जनगणना से आर्थिक जनगणना बनाम लोकतंत्र

बिहार राज्य की जाति जनगणना के आंकड़े 2 अक्टूबर 2023 को जारी किए गए। देश के राजनीतिक हलकों में कोहराम मचा हुआ है। राजनीतिक पार्टियां दो खेमों में बंट गई हैं और देश को दो खे

नफरत, दंगे, नरसंहार में मीडिया की भूमिका

मीडिया को आम तौर पर आम जनता अपनी समस्या के समाधान के तौर पर देखती रही हैं। लोगों का मानना होता था कि अगर हम अपनी समस्या मीडिया के सामने लेकर जाएंगे तो मीडिया उसको उजागर क

देश की पतंग बहुत ऊंची उड़ रही है, कभी भी कट सकती है

हर रोज खबर अखबार जब भी खोलता हूं तो पूरे पेज पर मोदी की फोटो छपी होती है। हर रोज ही मोदी के पोस्टर मोदी की फोटो। हर रोज मोदी कोई न कोई बड़ा इवेंट कर रहे होते हैं। हर योजना

आलेख

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के दो वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है। यह युद्ध लम्बा खिंचता जा रहा है। इस युद्ध के साथ ही दुनिया में और भी युद्ध क्षेत्र बनते जा रहे हैं। इजरायली यहूदी नस्लवादी सत्ता द्वारा गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है। इस नरसंहार के विरुद्ध फिलिस्तीनियों का प्रतिरोध युद्ध भी तेज से तेजतर होता जा रहा है।

अल सल्वाडोर लातिन अमेरिका का एक छोटा सा देश है। इसके राष्ट्रपति हैं नाइब बुकेली। इनकी खासियत यह है कि ये स्वयं को दुनिया का ‘सबसे अच्छा तानाशाह’ (कूलेस्ट डिक्टेटर) कहते ह

इलेक्टोरल बाण्ड के आंकड़ों से जैसे-जैसे पर्दा हटता जा रहा है वैसे-वैसे पूंजीपति वर्ग और उसकी पाटियों के परस्पर संबंधों का स्वरूप उजागर होता जा रहा है। इसी के साथ विषय के प