मजदूर आवाज

सऊदी अरब के निओम प्रोजेक्ट में श्रमिकों की चौंकाने वाली मौतें

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सऊदी अरब ‘‘नियोम सिटी प्रोजेक्ट’’ पर काम कर रहा है, जिसका उद्देश्य देश में एक अभिनव शहरी क्षेत्र बनाना है। प्रमुख परियोजना के निर्माण के लिए श्रमिकों को कानूनी सीमाओं से

बोइंग कम्पनी के 30,000 मजदूरों की हड़ताल जारी

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अमेरिका की विमान बनाने वाली कम्पनी बोइंग के 30,000 मजदूर 14 सितम्बर से हड़ताल पर हैं। ये मजदूर अपने वेतन में वृद्धि, पेंशन आदि की मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इस हड़ताल की

रतन टाटा और नीरा राडिया

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आजकल जब रतन टाटा के निधन से पूंजीवादी मीडिया बहुत दुखी है तब कुछ बात नीरा राडिया के बारे में भी होनी ही चाहिये।
    

सैमसंग इलेक्ट्रानिक्स के मजदूरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल

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तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के निकट श्रीपेरम्दुर में स्थित सैमसंग इलेक्ट्रानिक्स के करीब 1500 स्थायी मजदूर 9 सितंबर से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। ये मजदूर वेतन वृद्धि, यू

वेतन वृद्धि का पाखण्ड

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बीते दिनों देश के सभी प्रमुख अखबारों में खबर छपी कि केन्द्र सरकार ने न्यूनतम मजदूरी में बड़े पैमाने पर वृद्धि कर दी है। कुछ अखबारों ने तो मजदूरों की दिवाली खुशनुमा होने के

अमेरिका की तेल रिफाइनरी डेट्रोईट के मजदूर हड़ताल पर

जो मजदूर हड़ताल पर गये हैं वे कम्पनी में सुरक्षा व्यवस्था देखते थे

अमेरिका की तेल रिफाइनरी कम्पनी डेट्रोईट के 270 मजदूर अपने कांट्रेक्ट के नवीनीकरण के लिए 5 सितम्बर से हड़ताल पर चले गये हैं। ज्ञात हो कि इन मजदूरों का कांट्रेक्ट 31 जनवरी 2

इजराइल से और भारतीय मजदूरों के लिए बुलावा

आत्मनिर्भर भारत पर रोजगार इजराइल में

एक तरफ जहां इजराइल की कम्पनियों द्वारा भारतीय कामगारों की कुशलता पर प्रश्न चिह्न उठाये जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर इजराइल के दूतावास ने एक्स (ट्विटर) पर लिखा है कि भारत और इ

बुद्धिजीवी भ्रम बेचते हैं - पार्टी जीतती है, लोग हारते हैं -रंगनायकम्मा

गरीबी का मुख्य कारण पूंजीवादी उत्पादन पद्धति है जो बड़े पैमाने पर श्रम का शोषण करती है

बुद्धिजीवी लोग संविधान और लोकतंत्र को मासूम बच्चों की तरह लागू मानकर चुनाव के मौजूदा दौर पर भविष्यवाणियां कर रहे हैं। ये बुद्धिजीवी चाहते हैं कि कोई ऐसी पार्टी सत्ता में

मजदूर वर्ग पर ‘‘लेबर कोड्स’’ के हमले के खिलाफ प्रतिरोघ की शुरूआत ‘‘वर्ग सचेत मजदूरों’’ को करनी होगी

लेबर कोड्स : मजदूर वर्ग पर हमला

मजदूरों व मजदूर यूनियनों के बीच लेबर कोड्स का हमला प्रतिरोध का कोई विषय नहीं बन पा रहा है। मजदूर यूनियनें लेबर कोड्स को मजदूरों पर हमले के रूप में नहीं ले पा रही हैं। औद्

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।