मजदूर आवाज

मोदी राज में उजड़ती दुनिया

देश में जब से फासीवादी मोदी सरकार आई, पूरे देश में डर, भय, आतंक का माहौल बना हुआ है। किस राज्य में कब क्या हो जाए कहा नहीं जा सकता है। फिलहाल मणिपुर राज्य में पूरी तरह से

देश की स्वास्थ्य व्यवस्था एक आइना : बी.एच.यू. के संदर्भ से

वाराणसी/ उत्तर भारत के अस्पतालों में बनारस स्थित काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के मेडिकल संस्थान का एक प्रमुख स्थान है। जिसका पूरा नाम प्ण्डण्ैण् ठण्भ्ण्न्ण्

मेवाती थोड़े और मुसलमान हो गये हैं और जाट थोड़े और हिन्दू

नूंह दंगों को थोड़ा और ज्यादा समझने के लिए एक टीम नूंह गयी। फरीदाबाद, दिल्ली, भटिंडा और सिरसा के कुछ जनसंगठनों के कार्यकर्ता नूंह व गुड़गांव गये। वहां पर अलग-अलग लोगों से ज

सावधान! खतरा बरकरार है।

मुल्क के करोड़ों युवा-छात्र-नौजवान
खड़ा करते हैं सवाल, शिक्षा, स्वास्थ्य 
और रोजगार का
पूछते हैं सवाल? सुनो सरकार
कहां है हमारा रोजगार?
तभी कहीं से उठती है आवाज

सत्ता की कुर्सी अब और ज्यादा खूनी होती जा रही है

पूंजीवादी व्यवस्था का संकट जैसे-जैसे  बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे सत्ता की कुर्सी की ख़ून की प्यास भी बढ़ती जा रही है। इस कुर्सी को मेहनतकश जनता का ज्यादा से ज्यादा ख़ून चाह

इस साल की बरसात ने किया बुरा हाल

इस साल बरसात के मौसम में काफी तबाही-बरबादी देखने को मिली। पहाड़ से लेकर मैदानी इलाकों तक बारिश ने काफी कहर बरपा किया। बरसात के पानी में मकान माचिस की डिब्बियों की तरह बहते

लो हिसाब हाकिम से

अधमरा पड़ा है जमीन पर 
बची सांसें थोड़ी हैं।
लो हिसाब हाकिम से उसने कितनी लाठियां 
तोड़ी हैं।
कतरा-कतरा पड़ा है 
सांस का नब्ज उसकी टटोली है।

मोदी के 18-18 घंटे काम के परिणाम आने लगे

मोदी ने केन्द्र की सत्ता में बैठते ही लफ्फाजियों की झड़ियां लगानी शुरू कर दी थीं। मोदी ने अपने आप को 18-18 घंटे काम करने वाले के रूप में प्रचारित कराया। इस बात को इस रूप म

शहतूत

फैक्टरी में सीमेंट की चादरें बदलनी हैं, काम पर ठेकेदार ने जल्दी बुलाया है। अर्जुन को ठेकेदार के अंडर में काम करते हुए एक लम्बा अरसा हो गया था। अलग-अलग फैक्टरियों में काम

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है