विविध
दिल्ली भगदड़ और रेल मंत्रालय

कुंभ को लेकर नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर इकट्ठा भीड़ में मची भगदड़ में ढेरों लोग मारे गये। इससे कुछ दिन पहले इलाहाबाद में कुंभ स्थल व कुछेक अन्य जगहों पर मची भगदड़ में ढेरों
चन्द्रशेखर आजाद के शहादत दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम

27 फरवरी 2025 को अमर शहीद चन्द्रशेखर आजाद के शहादत दिवस के अवसर पर इमके, प्रमएके, पछास व क्रालोस ने मिलकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया और आजाद के दिखाये रास्ते पर चलने का संकल्प लिया।
पेरिस कम्यून को क्यों याद करें

इस वर्ष 18 मार्च को पेरिस कम्यून को घटे 154 वर्ष हो जायेंगे। पेरिस कम्यून की ऐतिहासिक घटना से परिचित और अपरिचित दोनों तरह के लोगों का यह प्रश्न हो सकता है कि ‘हम पेरिस कम
कहानी - विरासत

मानव समाज में संवेदनाओं का अपना अलग दर्जा है। स्तनधारी जीवों में, खुद को बाकी जीवों से अलग करने के बाद मनुष्य की संवेदनाओं ने ज्यादा आकार ग्रहण करना शुरू किया होगा। भोजन
लानत है

लानत है
लानत है तुम्हारी जीत पर
लानत है तुम्हारे जश्न पर
कहते हो कि
तुम्हें जनता ने चुना है
मगर यही जनता पलटकर
जब सवाल करती है
कलह के बाद अब सांठगांठ

अमेरिका, रूस को साधने के बाद यूरोप के देशों से अपनी ही शर्तों पर सौदेबाजी करना चाहता है। यूरोप के देशों के पास सीमित विकल्प हैं इसलिए वे ट्रम्प के जाल में फंसने को मजबूर हैं। वे इस स्थिति में नहीं हैं कि अमेरिकी साम्राज्यवादियों से खुली टक्कर ले सकें। फिलवक्त रूसी साम्राज्यवादियों खासकर पुतिन के दोनों हाथों में लड्डू हैं। और अमेरिकी साम्राज्यवादी इस मंसूबे को पाल रहे हैं कि उनका दुनिया में वर्चस्व इस तरह से कायम रहेगा।
कुम्भ, धार्मिकता और साम्प्रदायिकता

असल में धार्मिक साम्प्रदायिकता एक राजनीतिक परिघटना है। धार्मिक साम्प्रदायिकता का सारतत्व है धर्म का राजनीति के लिए इस्तेमाल। इसीलिए इसका इस्तेमाल करने वालों के लिए धर्म में विश्वास करना जरूरी नहीं है। बल्कि इसका ठीक उलटा हो सकता है। यानी यह कि धार्मिक साम्प्रदायिक नेता पूर्णतया अधार्मिक या नास्तिक हों। भारत में धर्म के आधार पर ‘दो राष्ट्र’ का सिद्धान्त देने वाले दोनों व्यक्ति नास्तिक थे। हिन्दू राष्ट्र की बात करने वाले सावरकर तथा मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान की बात करने वाले जिन्ना दोनों नास्तिक व्यक्ति थे। अक्सर धार्मिक लोग जिस तरह के धार्मिक सारतत्व की बात करते हैं, उसके आधार पर तो हर धार्मिक साम्प्रदायिक व्यक्ति अधार्मिक या नास्तिक होता है, खासकर साम्प्रदायिक नेता।
ट्रम्प-पुतिन समझौता वार्ता : जेलेन्स्की और यूरोप अधर में

इस समय, अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूरोप और अफ्रीका में प्रभुत्व बनाये रखने की कोशिशों का सापेक्ष महत्व कम प्रतीत हो रहा है। इसके बजाय वे अपनी फौजी और राजनीतिक ताकत को पश्चिमी गोलार्द्ध के देशों, हिन्द-प्रशांत क्षेत्र और पश्चिम एशिया में ज्यादा लगाना चाहते हैं। ऐसी स्थिति में यूरोपीय संघ और विशेष तौर पर नाटो में अपनी ताकत को पहले की तुलना में कम करने की ओर जा सकते हैं। ट्रम्प के लिए यह एक महत्वपूर्ण कारण है कि वे यूरोपीय संघ और नाटो को पहले की तरह महत्व नहीं दे रहे हैं।
राष्ट्रीय
आलेख
अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह
संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।
आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता।
अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।