कनाडा की संसद में एक नाजी का स्वागत

द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद दुनिया के किसी देश की संसद या राजनेताओं ने किसी नाजी हत्यारे के स्वागत का काम नहीं किया था। यहां तक कि नव फासीवादी ताकतें भी नाजी हत्यारों से खुलकर खुद को जोड़ने से हिचकती रही हैं; पर 22 सितम्बर को कनाडा की संसद ने एक 98 वर्षीय नाजी हत्यारे का खड़े होकर स्वागत कर इतिहास में अपने लिए एक बदनुमा दाग कायम कर लिया। 
    
22 सितम्बर को यूक्रेनी राष्ट्रपति कनाडा की यात्रा के दौरान कनाडा की संसद में गये। वहां कनाडा के हाउस आफ कामन्स के स्पीकर एंथोनी रोटा ने यारोस्लाव हंका नामक 98 वर्षीय नाजी हत्यारे का यह कहकर स्वागत किया कि उन्होंने दूसरे विश्व युद्ध के दौरान रूस से यूक्रेन की स्वतंत्रता के लिए युद्ध किया और आज भी वे यूक्रेन का समर्थन कर रहे हैं। इस तरह वे एक यूक्रेनी हीरो हैं और कनाडा के भी हीरो हैं। उनके इस संबोधन के बाद जेलेंस्की के साथ कनाडा की पूरी संसद ने खड़े होकर हंका का स्वागत किया। 
    
पर शीघ्र ही इस स्वागत से यहूदी लोगों में खलबली मच गयी। उन्होंने शीघ्र ही ढूंढ निकाला कि हंका हिटलर की नाजी यूनिट में काम करता था। 24 सितम्बर को कनाडा स्थित एक मानवाधिकार संगठन जो हिटलर के नरसंहार के खिलाफ कार्यरत रहा, ने एक बयान जारी कर कहा कि हंका द्वितीय विश्व युद्ध के समय हिटलर की नाजी यूनिट में काम करता था और यहूदी व अन्य लोगों के नरसंहार में भागीदार था। 
    
इस खुलासे के बाद यहूदी लोगों के साथ-साथ तमाम देशों से भी कनाडा सरकार से इस स्वागत के लिए माफी मांगने की मांग उठने लगी। कनाडा सरकार की इस हरकत पर जब ज्यादा हल्ला मचने लगा तो स्पीकर रोटा को इस्तीफा देना पड़ा। उसने इस्तीफे में कहा कि वह हंका के नाजी सम्बन्ध के बारे में नहीं जानते थे। हालांकि इस बात पर विश्वास करना कठिन है कि प्रधानमंत्री ट्रूडो व रोटा को हंका के बारे में न पता हो। उन्होंने इतनी भी शर्म नहीं की कि दूसरे विश्व युद्ध में रूस व कनाडा एक पाले में थे और नाजी जर्मनी दूसरे पाले में। 
    
स्पीकर की बलि चढ़ाने के बाद भी प्रधानमंत्री ट्रूडो को बयान देना पड़ा कि यह घटनाक्रम बेहद दुखद था। हालांकि उनके बयान से स्पष्ट नहीं था कि वे जेलेंस्की से माफी मांग रहे हैं या फिर बाकी दुनिया से। जहां तक जेलेंस्की का प्रश्न है तो रूस के खिलाफ युद्ध में उन्हें हिटलर के सिपहसालार रहे व्यक्ति से भी मदद लेने में कोई संकोच नहीं है। अगर हिटलर दोबारा पैदा हो जाये तो जेलेंस्की को रूस के खिलाफ हिटलर से भी मदद लेने में कोई संकोच नहीं होगा। 
    
दरअसल कनाडा तमाम नाजी हत्यारों की शरणस्थली रहा है। यहां से नाजी प्रशिक्षित लोग यूक्रेन की अजोव बटालियन में शामिल भी हुए हैं। ऐसे में यूक्रेन के ऊपर रूसी साम्राज्यवादी अगर नाजी दस्ते होने का आरोप लगाते हैं तो यह आरोप भी सत्य है। 
    
जैसे-जैसे कनाडा-अमेरिका से लेकर यूरोप के देशों में दक्षिणपंथी ताकतों का उभार हो रहा है वैसे-वैसे नाजी तत्व अपने को अधिक खुलेआम सामने ला रहे हैं। अगर एक नाजी हत्यारे को कनाडा की संसद सम्मान दे रही है तो यह अनभिज्ञता का मामला नहीं है। बल्कि यह सच है कि कनाडा में नाजी फासीवादी तत्वों के साथ सरकार में शामिल पार्टियां पहले से सम्बन्ध रखती रही हैं। अब यही सम्बन्ध नाजी तत्वों के स्वागत तक पहुंच गया। आने वाले दिनों में नाजी हत्यारों के स्वागत की घटनायें बढ़ने की उम्मीद हैं।
     
यह स्वागत प्रकारान्तर से रूस-यूक्रेन युद्ध में यूक्रेन व पश्चिमी साम्राज्यवाद की असलियत को भी सामने लाता है। यह दिखाता है कि यूक्रेनी शासक व उनके साथ खड़े पश्चिमी साम्राज्यवादी कैसे नाजी विचारों के समर्थक बने हुए हैं। कि दो साम्राज्यवादियों की जंग में यूक्रेन तबाह-बर्बाद हो चुका है और जेंलेस्की व उसकी सेना में मौजूद फासीवादियों का यूक्रेनी जनता की तबाही में कम योगदान नहीं है। 

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