फासीवाद

जनसंख्या विशेषज्ञ

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एक महाशय हैं जो अपनी उम्र की चौथी अवस्था में प्रवेश कर चुके हैं। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार देखा जाए तो उनके सन्यास लेने की उम्र हो गयी है। महाशय ने ब्रह्मचर्य, गृहस्थ और

संघ-भाजपा ने मणिपुर के टुकड़े-टुकड़े किए

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मणिपुर में शांति स्थापित हो चुकने के सरकारी दावों की पोल खोलते हुए नवंबर माह में यहां फिर से हिंसा भड़क उठी। मणिपुर का बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय दोन

एक बार फिर सभ्यता और बर्बरता

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कहा जाता है कि लोगों को वैसी ही सरकार मिलती है जिसके वे लायक होते हैं। इसी का दूसरा रूप यह है कि लोगों के वैसे ही नायक होते हैं जैसा कि लोग खुद होते हैं। लोग भीतर से जैसे होते हैं, उनका नायक बाहर से वैसा ही होता है। इंसान ने अपने ईश्वर की अपने ही रूप में कल्पना की। इसी तरह नायक भी लोगों के अंतर्मन के मूर्त रूप होते हैं। यदि मोदी, ट्रंप या नेतन्याहू नायक हैं तो इसलिए कि उनके समर्थक भी भीतर से वैसे ही हैं। मोदी, ट्रंप और नेतन्याहू का मानव द्वेष, खून-पिपासा और सत्ता के लिए कुछ भी कर गुजरने की प्रवृत्ति लोगों की इसी तरह की भावनाओं की अभिव्यक्ति मात्र है। 

सम्भल हिंसा : 5 लोगों की मौत, जिम्मेदार कौन

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24 नवंबर को मुरादाबाद के सम्भल में जामा मस्जिद में सर्वे के दौरान हिंसा भड़क उठी और इस हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गयी। इस हिंसा के बाद एक बार फिर मुसलमान समुदाय को हिंसा

बड़े लोगों की बड़ी बात

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अपने देश में पिछले कुछ सालों से लगातार आरोप लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और पूंजीपति गौतम अडाणी के बीच यारी है। कि 2002 से अब तक अडाणी के लगातार बड़े से बड़े बनत

फजीहत से बचने को पर्दे की आड़ जरूरी

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25 नवम्बर को भारत के उच्चतम न्यायालय ने उन याचिकाओं को खारिज कर दिया जिनमें भारत के संविधान की प्रस्तावना में इंदिरा गांधी के जमाने में संशोधन को चुनौती दी गयी थी। ‘‘42वे

‘मी लार्ड’ कोई, आपसे क्या उम्मीद करे!

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आखिरकार पुराने ‘मी लार्ड’ की विदाई हो गयी। जाते-जाते उन्होंने अपना दर्द बयां किया। उन्हें इस बात की चिंता हो रही थी कि इतिहास उन्हें किस तरह याद करेगा। अब नए मी लार्ड यान

मणिपुर हिंसा : शासकों द्वारा लगायी आग अब बेकाबू हो चुकी है !

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बीते लगभग सवा वर्ष से अधिक समय से सुलग रहे मणिपुर में नये सिरे से हिंसा भड़कने की खबरें आ रही हैं। इस बार हिंसा का केन्द्र जिरिबाम जिला बना है। ताजा सिरे से भड़की हिंसा की

चीफ जस्टिस का ‘‘दैवीय फैसला’’

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देश के भीतर फकीर मोदी ने इस साल चुनाव से पहले ही खुद को अजैवीय महसूस किया था। अपनी इस अलौकिकता का एहसास जब प्रधान सेवक मोदी को हुआ तो उन्होंने भूलोक के समस्त वासियों को ब

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।