मजदूर आवाज

तीन नए आपराधिक कानूनः मजदूरों-मेहनतकशों के संघर्षों को रोकने की कवायद

मोदी सरकार ने अगस्त, 2023 के संसद सत्र में आपराधिक कानूनों से संदर्भित तीन विधेयकों को पास किया था। गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में इन विधेयकों को पास कराते समय बोला था कि

विस्फोटक बेरोजगारी और बंशी बजाता नीरो

भारत में बेरोजगारी का आंकड़ा आजादी के बाद सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा हुआ है। बेरोजगारी विस्फोटक रूप ले चुकी है इसका प्रमाण जब-तब देखने को मिलता रहता है। अभी हाल में गुजरात के

श्रम संहितायें लागू करने की तेज होती सरकारी कवायद

मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में मजदूर विरोधी 4 श्रम संहितायें लागू करने की कवायद तेज हो गयी है। इन संहिताओं को देश की संसद 2019 व 2020 में ही पारित कर चुकी है पर मजदूर व

आग से बचाने वाले उपकरण बनाने वाली कम्पनी में आग लगी, 4 मजदूरों की मौत

देश में औद्योगिक क्षेत्रों में लग रही आग का सिलसिला रुक नहीं रहा है। इसी कड़ी में गुड़गांव में दौलताबाद इंडस्ट्रियल एरिया में फायर एंड पर्सनल सेफ्टी इंटरप्राइजेज़ में आग लग

भीषण गर्मी से परेशान अमेजन मजदूरों ने उठायी आवाज

भयंकर गर्मी से परेशान गुड़गांव के अमेजन के मजदूरों ने आवाज उठायी है। अमेजन इण्डिया वर्कर्स एसोसिएशन ने भयंकर गर्मी में काम कर रहे अमेजन के मजदूरों को राहत देने की बात की ह

ऑटो उद्योग में दुर्घटनाएं

भारत के प्रमुख उद्योगों में एक ऑटो उद्योग है जो जीडीपी में 7 प्रतिशत योगदान करता है। ऑटो उद्योग अपने कम्पोनेन्ट के लिए मैन्युफैक्चरिंग से माल जुटाता है और जीडीपी के 7 प्र

गाजा की महिलाओं-बच्चों के खून में हाथ रंगते भारतीय शासक

जब से इजरायल द्वारा गाजा में भीषण नरसंहार शुरू हुआ है तब से भारतीय शासकों की इजरायल के प्रति पक्षधरता किसी से छिपी नहीं है। भारत के केन्द्र में काबिज संघ-भाजपा इजरायल के

दिल्ली से गुजरात तक : आग से मरते मजदूर-मेहनतकश

दिल्ली के बवाना औद्योगिक क्षेत्र, नरेला औद्योगिक क्षेत्र व हरियाणा के कुंडली औद्योगिक क्षेत्र में मई महीने में लगातार आग लगने की घटनाएं होती रहीं और कथित लोकतंत्र का पर्व

केन्या के स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल जारी है

केन्या के 7000 स्वास्थ्य कर्मचारियों की हड़ताल 13 मार्च से जारी है। इन स्वास्थ्य कर्मचारियों में डाक्टर, इंटर्न, लेब टेक्नीशियन आदि शामिल हैं। यह हड़ताल केन्या मेडिकल प्रोफ

चीन में मजदूरों का बढ़ता असंतोष

चीन से मजदूरों के आक्रोश के फूटने की खबरें जब तब सामने आती रही हैं। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के एकछत्र शासन, प्रेस पर उसके नियंत्रण व सरकारी ट्रेड यूनियन सेण्टर के वर्चस्व

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

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अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।