विविध

कामरेड रामभरोसे को भावभीनी श्रद्धांजलि

/comrade-raambharose-ko-bhaavbhini-shradhaanjali

28 जनवरी की सुबह कामरेड रामभरोसे का देहान्त हो गया। 77 वर्षीय रामभरोसे अपने अंतिम दिनों तक इंकलाब के जुझारू सिपाही बने रहे। का.रामभरोसे का जन्म 5 जनवरी 1948 को शाहजहांपुर

ट्रेड यूनियनों की कार्यशाला सम्पन्न

/tred-union-ki-karyashaalaa-samapann

हरिद्वार/ दिनांक 26 जनवरी 2025 को ‘बढ़ते फासीवादी हमले तथा ट्रेड यूनियन के समक्ष चुनौतियां’ विषय पर हरिद्वार में ट्रेड यूनियनों की कार्यशाला इंकलाबी मजदूर

दक्षिण अफ्रीका : अवैध खनन रोकने के नाम पर 100 से ज्यादा खनिकों की मौत

/south-africa-avaidha-khanan-rokane-ke-naam-par-100-se-jyaadaa-miners-ki

दक्षिण अफ्रीका की सोने की खान से इन दिनों खनिकों की लाशें निकल रही हैं। 10 जनवरी से शुरू हुए बचाव अभियान में अब तक दर्जनों लाशें निकाली जा चुकी हैं। यह अभियान कुछ संगठनों

बांग्लादेश में रेलवे कर्मचारियों की एक दिवसीय हड़ताल

/bangladesh-mein-railway-karmachariyon-ki-ek-divaseey-hadtaal

28 जनवरी को सुबह से ही बांग्लादेश के रेलवे के रनिंग (ट्रेनों के साथ एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने वाले) कर्मचारियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी। यह हड़ताल रेलवे यू

कहानी - चाचा भतीजा

/kahaani-chaachaa-bhatijaa

किसी मनुष्य के जीवन में कोई इंसान कब जगह बना ले इसके बहुत से कारण होते हैं। वो इंसान आपकी पत्नी हो सकती है, कोई महिला मित्र हो सकती है। कोई हमउम्र दोस्त, रिश्ते का भाई, क

युद्ध विराम समझौता

/yudha-viraam-samjhautaa

काफी ना-नुकुर और षड्यंत्रकारी हील-हवाली के बाद इजरायल के नाजी जियनवादी क्रूर शासक, हमास के साथ ‘युद्ध विराम’ के लिए राजी हुए। और अंततः 19 जनवरी को युद्ध विराम समझौता लागू

कालचक्र

/kaalachakra

मैं वक्त हूं, सदैव गतिमान हूं
भूत, भविष्य और वर्तमान हूं,
मैं तब भी मौजूद था
जब धरती पर तुम्हारा वजूद नहीं था
और तब भी रहूंगा जब तुम
नेस्तनाबूद हो जाओगे।

चुनावी वायदे

/chunaavee-vaayade

दिल्ली में विधानसभा चुनाव 5 फरवरी को होने वाले हैं। 8 फरवरी को चुनाव नतीजे सामने आएंगे।
    

गाजापट्टी में फौरी युद्ध विराम और फिलिस्तीन की आजादी का सवाल

/gazapatti-mein-phauri-yudha-viraam-aur-philistin-ki-ajaadi-kaa-sawal

ट्रम्प द्वारा फिलिस्तीनियों को गाजापट्टी से हटाकर किसी अन्य देश में बसाने की योजना अमरीकी साम्राज्यवादियों की पुरानी योजना ही है। गाजापट्टी से सटे पूर्वी भूमध्यसागर में तेल और गैस का बड़ा भण्डार है। अमरीकी साम्राज्यवादियों, इजरायली यहूदी नस्लवादी शासकों और अमरीकी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की निगाह इस विशाल तेल और गैस के साधन स्रोतों पर कब्जा करने की है। यदि गाजापट्टी पर फिलिस्तीनी लोग रहते हैं और उनका शासन रहता है तो इस विशाल तेल व गैस भण्डार के वे ही मालिक होंगे। इसलिए उन्हें हटाना इन साम्राज्यवादियों के लिए जरूरी है। 

अपने देश को फिर महान बनाओ!

/apane-desh-ko-phir-mahan-banaao

आज भी सं.रा.अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक और सामरिक ताकत है। दुनिया भर में उसके सैनिक अड्डे हैं। दुनिया के वित्तीय तंत्र और इंटरनेट पर उसका नियंत्रण है। आधुनिक तकनीक के नये क्षेत्र (संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, ए आई, बायो-तकनीक, इत्यादि) में उसी का वर्चस्व है। पर इस सबके बावजूद सापेक्षिक तौर पर उसकी हैसियत 1970 वाली नहीं है या वह नहीं है जो उसने क्षणिक तौर पर 1990-95 में हासिल कर ली थी। इससे अमरीकी साम्राज्यवादी बेचैन हैं। खासकर वे इसलिए बेचैन हैं कि यदि चीन इसी तरह आगे बढ़ता रहा तो वह इस सदी के मध्य तक अमेरिका को पीछे छोड़ देगा। 

आलेख

/ameriki-dhamakiyon-ke-sath-iran-amerika-varta

अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

/modi-sarakar-waqf-aur-waqf-adhiniyam

संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

/china-banam-india-capitalist-dovelopment

आजादी के दौरान कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद वह उग्र भूमि सुधार करेगी और जमीन किसानों को बांटेगी। आजादी से पहले ज्यादातर जमीनें राजे-रजवाड़ों और जमींदारों के पास थीं। खेती के तेज विकास के लिये इनको जमीन जोतने वाले किसानों में बांटना जरूरी था। साथ ही इनका उन भूमिहीनों के बीच बंटवारा जरूरी था जो ज्यादातर दलित और अति पिछड़ी जातियों से आते थे। यानी जमीन का बंटवारा न केवल उग्र आर्थिक सुधार करता बल्कि उग्र सामाजिक परिवर्तन की राह भी खोलता। 

/amerika-aur-russia-ke-beech-yukrain-ki-bandarbaant

अमरीकी साम्राज्यवादियों के लिए यूक्रेन की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखण्डता कभी भी चिंता का विषय नहीं रही है। वे यूक्रेन का इस्तेमाल रूसी साम्राज्यवादियों को कमजोर करने और उसके टुकड़े करने के लिए कर रहे थे। ट्रम्प अपने पहले राष्ट्रपतित्व काल में इसी में लगे थे। लेकिन अपने दूसरे राष्ट्रपतित्व काल में उसे यह समझ में आ गया कि जमीनी स्तर पर रूस को पराजित नहीं किया जा सकता। इसलिए उसने रूसी साम्राज्यवादियों के साथ सांठगांठ करने की अपनी वैश्विक योजना के हिस्से के रूप में यूक्रेन से अपने कदम पीछे करने शुरू कर दिये हैं।