अडाणी के साथ गोता लगाते कर्जदाता एलआईसी व बैंक

हिंडेनबर्ग रिपोर्ट के चलते अडाणी के शेयरों में गिरावट का दौर जारी है। खुद अडाणी दुनिया के तीसरे नम्बर के धनाढ्य से 38 वें स्थान पर खिसक गये हैं। बीते एक माह में उनकी कंपनियों के शेयरों का बाजार पूंजीकरण 146 अरब डालर घट गया है। इसका असर अब उन कर्जदाता संस्थाओं के शेयरों पर भी पड़ने लगा है जिन्होंने भारी-भरकम कर्ज बगैर गारंटी के अडाणी की कंपनियों को सरकारी शह पर दिया था।

- सरकारी क्षेत्र के बैंक आफ इंडिया का शेयर बीते एक माह में 18 प्रतिशत गिर चुका है। - इंडियन ओवरसीज बैंक के शेयरों में 17 प्रतिशत की गिरावट आयी है। यह 29.15 रु. से गिरकर 24.20 पर आ गया है। - यूनियन बैंक आफ इंडिया का शेयर 16 प्रतिशत टूट गया है। 80 रु. से गिरकर इसकी कीमत 67.05 रु. प्रति शेयर पर आ गयी। - सेण्ट्रल बैंक आफ इंडिया का शेयर 16.47 प्रतिशत टूटा है। - पंजाब एण्ड सिंध बैंक का शेयर एक माह में 15.6 प्रतिशत गिर गया है। - एल आई सी के शेयर एक माह में लगभग 20 प्रतिशत गिर गये हैं। - स्टेट बैंक आफ इण्डिया का शेयर 553 रु. से गिरकर 516 रु. पर आ गया।

बात अगर एल आई सी की करें तो अडाणी ग्रुप में एल आई सी ने इक्विटी व कर्ज के रूप में 35,917 करोड़ रु. दिसम्बर अंत तक निवेशित किये थे। 27 जनवरी से 23 फरवरी तक अडाणी की कंपनियों में एल आई सी के शेयरों का बाजार पूंजीकरण 56,142 करोड़ रु. से गिरकर 27,000 करोड़ रु. रह गया।

इस तरह अडाणी के गोरखधंधे की मार उसे कर्ज देने वाले बैंकों-एल आई सी की साख पर पड़ रही है। इन सबके शेयरों के भावों में तेजी से गिरावट हो रही है। अगर बैंकों-बीमा कंपनी के शेयर भाव और गिरते हैं तो इनके शेयरों में बिकवाली का ऐसा दौर शुरू हो जायेगा जो शेयर भाव को जमीन पर ला पटकेगा। अगर ये बैंक-वित्तीय संस्थान डूबने की ओर बढ़ते हैं तो इसका असर पूरे देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा। इन बैंकों-एलआईसी में जिन लोगों का पैसा निवेशित है, वह पैसा डूबने की भी आशंका पैदा हो गयी है।

अगर गिरावट का यह दौर जारी रहता है तो यह भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बुरी तरह प्रभावित करेगा। मोदी काल का सारा हवाई गुब्बारे की तरह फूला विकास गायब हो जायेगा और संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था का नग्न चेहरा सामने आ जायेगा।

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