अर्जेण्टीना में विभिन्न क्षेत्रों के मजदूरों-कर्मचारियों की हड़ताल

अर्जेण्टीना में राष्ट्रपति जेवियर मेलेई की नीतियों के खिलाफ आक्रोश लगातार बढ़ रहा है। जनवरी में आम हड़ताल के बाद फरवरी में विभिन्न क्षेत्रों के मजदूर-कर्मचारी 24-24 घंटे की हड़ताल कर सरकार पर दबाव बना रहे हैं कि सरकार उनकी मांगों को पूरा करे। इन मजदूर-कर्मचारियों की मुख्य मांग बढ़ती महंगाई के अनुरूप वेतन बढ़ाने की है। 
    
हड़तालों की इस कड़ी में 21 फरवरी को रेल कर्मचारी 24 घंटे की हड़ताल पर रहे। केवल अति आवश्यक लम्बी दूरी की ट्रेनों का ही संचालन हुआ। इसके बाद 22 फरवरी को स्वास्थ्य क्षेत्र के 5 लाख कर्मचारी 24 घंटे की हड़ताल पर रहे। इस हड़ताल के दौरान केवल आपातकालीन सेवायें ही दी गयीं। 28 फरवरी को एयरलाइन के कर्मचारी 24 घंटे की हड़ताल पर रहे। इनकी हड़ताल की वजह से सैकड़ों फ्लाइट रद्द हो गयीं और हजारों यात्री प्रभावित हुए।
    
हड़ताल पर जा रहे मजदूर-कर्मचारी कई-कई बार की बात सरकार से कर चुके हैं लेकिन उनकी मांगों पर सुनवाई नहीं हो रही है। हड़ताली कर्मचारियों-मजदूरों का कहना है कि वे वेतन में वृद्धि की बात नहीं कह रहे हैं। वे तो केवल यह कह रहे हैं कि बढ़ती महंगाई के हिसाब से उनका वेतन का निर्धारण किया जाये। 
    
ज्ञात हो कि अर्जेण्टीना में पिछले साल (दिसम्बर 23 तक) महंगाई 211 प्रतिशत बढ़ी है। और इस साल जनवरी माह में 20.6 प्रतिशत मासिक महंगाई बढ़ चुकी है। ऐसे में उनके खर्चे बढ़ती महंगाई में पूरे नहीं हो पा रहे हैं। 20 सालों में यह सबसे तेज गति से बढ़ने वाली मुद्रास्फीति है। जिस कारण 57.4 प्रतिशत लोग गरीब हो गये हैं। 
    
राष्ट्रपति जेवियर मेलेई को जनता ने इस उम्मीद के साथ चुना था कि वे उनके लिए राहत प्रदान करेंगी लेकिन राष्ट्रपति बनने के बाद वे नई आर्थिक नीति को ही तेजी से लागू कर रही हैं। इससे जनता में उनके प्रति आक्रोश पैदा हो रहा है। 
    
अर्जेण्टीना दक्षिणी अमेरिका की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है। 21वीं सदी की शुरूवात तक दक्षिणी अमेरिका में एक समय संयुक्त राज्य अमेरिका का प्रभाव रहा है जिसके विरोध में वहां अमेरिका विरोधी लहर पर सवार होकर नये किस्म के समाजवाद का नारा लगाने वाले लोग सत्ता में आते रहे हैं। उन्होंने उस समय कुछ सुधार भी लागू किये। जिसका फायदा जनता को मिला। 
    
लेकिन आज परिस्थितियां बदल चुकी हैं। अब कुछ सुधार के कार्य करना भी इन शासकों के बस की बात नहीं हैं। पूरी दुनिया में पूंजीपति वर्ग नई आर्थिक नीतियों के तहत खुलकर लूट मचा रहा है और जनता को चूस रहा है। पूंजीपति वर्ग महंगाई बढ़ाकर एक तरफ मजदूर वर्ग को ज्यादा घंटे काम करने के लिए विवश कर रहा है तो दूसरी तरफ वे जो कुछ कमा रहे हैं उसको हड़प कर अपनी तिजोरी भर रहा है। अर्जेण्टीना में यही हो रहा है। और इन परिस्थितियों को केवल शासकों को बदलकर नहीं बदला जा सकता। इसके लिए मेहनतकश वर्ग को संगठित होकर पूंजीपति वर्ग पर हमला बोलना होगा।

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