जलियांवाला बाग और पंतनगर गोलीकांड के शहीदों की याद में प्रभातफेरी

पंतनगर/ 13 अप्रैल 2024 को जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड और वर्ष 1978 में पंतनगर गोली काण्ड के मजदूर शहीदों की याद में इंकलाबी मजदूर केंद्र एवं ठेका मजदूर कल्याण समिति पंतनगर तथा प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा बड़ी मार्केट पीपल चौराहे से परिसर के चकफेरी कालोनी, झा कालोनी मजदूर बस्तियों से होते हुए शहीद स्मारक पंतनगर तक प्रभातफेरी निकाली गई। तत्पश्चात शहीद स्मारक पर सभा में पुष्प अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
    
प्रभात फेरी में मजदूर हाथों में लाल झंडे, तख्तियां बैनर लिए 13 अप्रैल के शहीदों को लाल सलाम। जलियांवाला बाग के शहीदों को लाल सलाम। मजदूर विरोधी श्रम संहिताए वापस लो। महिलाओं से रात्रि में काम करने का कानून रद्द करो। 8 घंटे काम, संगठित होने और यूनियन बनाने के अधिकार पर हमले बंद करो। पूंजीवाद, साम्राज्यवाद, फासीवाद मुर्दाबाद। 13 अप्रैल के शहीदों की क्रांतिकारी विरासत को आगे बढ़ाओ, साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की राजनीति बंद करो आदि नारे लगा रहे थे।
    
सभा में वक्ताओं ने कहा कि जालिम अंग्रेज सरकार के जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड रचने के बाद आजाद भारत में काले अंग्रेजों द्वारा पंतनगर में मजदूरों पर गोली काण्ड नरसंहार करके साबित  किया गया कि वह गोरे अंग्रेजों की भांति ही निर्मम दमनकारी है। मेहनतकश जनता ने जुझारू संघर्षों, त्याग और बलिदान से अंग्रेज सरकार को खदेड़ कर आजादी हासिल की थी पर आजादी के बाद नये शासकों ने जुल्म करने से कोई कसर नहीं छोड़ी। 
    
आज मजदूर आंदोलन कमजोर होने से बीते 45 सालों में सबसे ज्यादा बेरोजगारी, आसमान छूती महंगाई जनता झेल रही है। मोदी सरकार द्वारा पूंजीपतियों के हितों के मद्देनजर मजदूरों के संघर्षों से हासिल 44 श्रम कानूनों को खत्म कर 4 मजदूर विरोधी कोड में तब्दील कर दिया गया है। भोजनमाता और आशाकर्मियों से बेगारी करा रही है। महिलाओं के बलात्कार और हत्याओं का ग्राफ बढ़ता जा रहा है। सत्ता में बैठे लोग अपराधियों को बचा रहे हैं। पूंजीपतियों के मुनाफे के मद्देनजर शिक्षा का निजीकरण और भगवाकरण किया जा रहा है। वोट बैंक हासिल करने के लिए हिंदू-मुस्लिम साम्प्रदायिक विभाजन पैदा कर अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। तथाकथित अतिक्रमण, विकास के नाम पर मेहनतकश जनता के घरों पर बुलडोजर चलवाकर  उजाड़ने का अभियान चलाया जा रहा है। पूरे देश में ठेका प्रथा के जरिए मजदूरों का निर्मम शोषण किया जा रहा है तो शोषण-उत्पीड़न के खिलाफ मजदूर, किसान, छात्र चारों ओर सरकार के खिलाफ संघर्ष कर रहे हैं।
    
उत्तराखंड सरकार निजीकरण की जनविरोधी नीतियों को बढ़ाते हुए कई वर्षों से पंतनगर विश्वविद्यालय के बजट में लगातार कटौती कर रही है। विश्व विख्यात विश्वविद्यालय को बर्बाद करने की साजिश की जा रही है। ठेका मजदूरों को कभी बोनस नहीं दिया गया, ग्रेच्युटी नहीं दिया जा रहा है। हारी-बीमारी में अवकाश नहीं दिया जा रहा है। पूरे महीने काम तक नहीं दिया जा रहा है। और उसका भी समय पर वेतन नहीं दिया जा रहा है। 
    
अंत में सभी वक्ताओं ने कहा कि जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड में बहे खून से पैदा हुए शहीद भगत सिंह, सुखदेव, राजगुरू, ऊधम सिंह ने रूस में मजदूर राज की तर्ज पर भारत में मजदूरों की पूर्ण आजादी पूंजीवादी व्यवस्था खत्म कर मजदूर राज स्थापित करने की बात की थी। शहीदों की क्रांतिकारी विरासत से प्रेरणा लेकर ‘दुनिया के मजदूरों एक हो’ के नारे को आगे बढ़ाते हुए मजदूर वर्ग को वर्गीय एकता के आधार पर संगठित होकर पूंजीवाद के खात्मे और मजदूर राज समाजवाद के लिए संघर्ष को आगे बढ़ाना होगा। 
        -पंतनगर संवाददाता

आलेख

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के दो वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है। यह युद्ध लम्बा खिंचता जा रहा है। इस युद्ध के साथ ही दुनिया में और भी युद्ध क्षेत्र बनते जा रहे हैं। इजरायली यहूदी नस्लवादी सत्ता द्वारा गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है। इस नरसंहार के विरुद्ध फिलिस्तीनियों का प्रतिरोध युद्ध भी तेज से तेजतर होता जा रहा है।

अल सल्वाडोर लातिन अमेरिका का एक छोटा सा देश है। इसके राष्ट्रपति हैं नाइब बुकेली। इनकी खासियत यह है कि ये स्वयं को दुनिया का ‘सबसे अच्छा तानाशाह’ (कूलेस्ट डिक्टेटर) कहते ह

इलेक्टोरल बाण्ड के आंकड़ों से जैसे-जैसे पर्दा हटता जा रहा है वैसे-वैसे पूंजीपति वर्ग और उसकी पाटियों के परस्पर संबंधों का स्वरूप उजागर होता जा रहा है। इसी के साथ विषय के प