संघियों को मुंह चिढ़ाता जेएनयू

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) भारतीय विश्वविद्यालयों में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय है। इसकी तस्दीक अभी वैश्विक क्यू एस विश्व विद्यालय रैंकिंग में हुयी जिसके अनुसार यह भारत का विश्व में सर्वोच्च रैंक वाला विश्व विद्यालय है। ‘विकास अध्ययन’ श्रेणी में विश्व में इसका स्थान बीसवां है। भारत के अन्य सभी संस्थान इसके बाद कहीं स्थान रखते हैं। आईआईएम (अहमदाबाद) का एक कोटि में 25वां तो आईआईटी (मद्रास, दिल्ली और मुम्बई) का भी शीर्ष 50 संस्थानों में स्थान है। 
    
जेएनयू हमेशा से हिन्दू फासीवादियों के निशाने पर रहा है। वे उसे बदनाम करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। हद तो तब हो गयी जब उसे बदनाम करने के लिए एक संघी फिल्म निर्माता ने जेएनयू (जहांगीर नेशनल यूनिवर्सिटी) के नाम से एक फर्जी फिल्म बना डाली। फिल्म नहीं चलनी थी नहीं चली। 
    
जेएनयू को कब्जे में लेने के लिए मोदी सरकार ने हर चंद कोशिश की है। संघी सड़कछाप तिकडमबाज प्रोफेसर इसके हर कालेज में घुसाये गये हैं परन्तु इसके बावजूद जेएनयू को वे संघी गढ़ नहीं बना पाये। हालिया छात्र संघ चुनाव में जेएनयू में संघी छात्र संगठन को मुंह की खानी पड़ी। जेएनयू को भारत के शिक्षण संस्थानों में स्वयं ऊंचा स्थान मिलना संघियों को मुंह चिढ़ा रहा है। क्योंकि प्रधानमंत्री से लेकर किसी संघी ने जेएनयू को भारत में प्रथम स्थान मिलने पर बधाई नहीं दी है। 

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