
हरिद्वार/ सिडकुल में एंकर पैनासोनिक कंपनी के लगभग 4000 से अधिक स्थायी एवं अस्थायी मजदूरों ने अपनी हड़ताल को एक हफ्ते के बाद आश्वासन पर समाप्त कर दिया। हरिद्वार सिडकुल में 29 अप्रैल से एंकर पैनासोनिक कंपनी के दोनों यूनिट्स के हजारों मजदूर वेतन वृद्धि समेत 11 सूत्रीय मांग पत्र को मनवाने के लिए हड़ताल पर चले गए थे। इससे एक दिन पहले 28 अप्रैल को एंकर पैनासोनिक के मजदूरों में खलबली मची कि प्रबंधन द्वारा मात्र 10 रु. प्रतिदिन वेतन बढ़ाया जा रहा है और मजदूरों ने प्रबंधन को चेतावनी दी कि यदि आपने वेतन ठीक ठाक नहीं बढ़ाया तो हम कल से हड़ताल पर चले जाएंगे। 29 अप्रैल को महिलाएं बस से उतरीं और कंपनी गेट से लेकर सड़क तक बैठ गईं। हड़ताल को समर्थन देते हुए इंकलाबी मजदूर केन्द्र के कार्यकर्ताओं द्वारा लाल झंडे के साथ क्रांतिकारी नारों, गीतों से उत्साहवर्धन किया गया और एक संयुक्त मांग पत्र तैयार किया गया। दोनां यूनिट्स की एक मजदूर कमेटी बनाने का प्रयास किया गया जिसमें दो दिन बाद सफलता मिली। कम्पनी में भय और आतंक का इतना माहौल था कि जो भी एकजुटता की बात करता था उसका गेट बंद कर दिया जाता था। 30 अप्रैल को भी प्रबंधन वर्ग महिलाओं की मांगें मानने के स्थान पर 5 दिन का समय मांग रहा था।
पुलिस द्वारा लगातार दबाव बनाया जा रहा था कि कम्पनी गेट छोड़ो और श्रम विभाग जाओ। जिससे कम्पनी चलाने के लिए माहौल बने और हड़ताल कमजोर हो। पुलिस प्रशासन के द्वारा 29 अप्रैल को पहले कम्पनी पर दबाव डालकर इंकलाबी मजदूर केन्द्र के हरिद्वार प्रभारी पंकज कुमार, कार्यकर्ता जय प्रकाश, संयुक्त मोर्चा के संयोजक व फूड्स श्रमिक यूनियन आई टी सी के महामंत्री गोविन्द सिंह, सत्यम आटो के महीपाल सिंह व किर्बी श्रमिक कमेटी के 5 मजदूर नेताओं समेत कुल 9 मजदूर नेताओं पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 126(2), 190 व 191(2) के तहत मजदूरों को हड़ताल कराने के लिए उकसाने और सड़क जाम करने के लिए फर्जी मुकदमा पंजीकृत किया गया। 30 अप्रैल को पुलिस प्रशासन के द्वारा स्वयं उपरोक्त 9 मजदूर नेताओं समेत क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के संयोजक नासिर अहमद व फूड्स श्रमिक यूनियन आई टी सी के अध्यक्ष ब्रजेश कुमार और 100 अज्ञात लोगों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 52, 53, 126(2), 190, 191(2) के तहत पुनः मुकदमा दर्ज कर दिया गया।
पुलिस प्रशासन और एंकर पैनासोनिक के प्रबंथन वर्ग को लगा कि यदि हड़ताल को समर्थन देने वालों पर फर्जी मुकदमा लगा देंगे तो ये आंदोलन में जाना छोड़ देंगे। सिडकुल हरिद्वार में बढ़ रहे मजदूर आंदोलन को देखकर और इन आंदोलनों को इंकलाबी मजदूर केन्द्र और संयुक्त मोर्चे से जुड़ी यूनियनों के सक्रिय समर्थन से घबराकर ये हरकत की गयी।
एक मई को पुलिस ने महिला मजदूरों को डरा-धमका कर श्रम विभाग भेज दिया। कम्पनी को गेट से 100 मीटर दूर तक धरना न होने देने का स्टे मिल गया। इससे कंपनी प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन ने थोड़ी राहत की सांस ली। महिलाओं ने 1 मई और 2 मई को श्रम विभाग पर अपना आंदोलन जारी रखा। हालांकि 20-25 प्रतिशत महिलाएं काम पर भी जा रही थीं।
2 मई को सुबह 4 घंटे भारी बारिश में महिला मजदूर भीगती रहीं और महिला मजदूरों ने पूरा श्रम विभाग और बाहर सड़क तक जाम कर रखी थी। शाम को महिला मजदूरों ने सहायक श्रमायुक्त को 5ः00 बजे का अल्टीमेटम दिया कि यदि आपने हमारी वार्ता नहीं कराई तो हम आपको भी घर नहीं जाने देंगे। तब पुलिस प्रशासन द्वारा एसडीएम महोदय की अध्यक्षता में एएलसी, एलईओ, कम्पनी प्रबंधन तथा मजदूर प्रतिनिधियों के मध्य वार्ता करायी गयी। वार्ता में बीएमएस व इंटक के प्रतिनिधि भी रहे। जिसमें 11 सूत्रीय मांगों के लिए कम्पनी प्रबंधन वर्ग ने एक सप्ताह का समय लिया। तय हुआ कि हड़ताल का दो दिन का पैसा मिलेगा। हड़ताल में शामिल सभी ठेका और स्थायी मजदूरों को बिना किसी कार्यवाही के लिया जायेगा। इस निर्णय से महिलाएं खुश नहीं थीं।
9 मई को स्थायी मजदूरों का 70 रुपये प्रतिदिन और ठेका मजदूरों का 23 रुपये प्रतिदिन बढ़ना तय हुआ। साथ ही तय हुआ कि प्रति वर्ष 40 से 45 ठेका मजदूरों को स्थायी किया जायेगा। मेडिकल पॉलिसी की अनियमितताएं दूर की जायेंगी। इसी तरह अन्य मांगों पर भी मौखिक रूप से आश्वासन दिया गया। इस पूरे फैसले से हड़ताल में शामिल सभी मजदूर खुश नहीं थे क्योंकि मजदूरों की कमेटी को भी प्रबंधन वर्ग द्वारा स्वीकार नहीं किया गया। 15 मजदूरों पर सिविल कोर्ट से समन आये हैं कि आपने कम्पनी गेट पर स्टे को तोड़ा है।
चार दिन की पहली हड़ताल ने मजदूरों को इस बात का ज्ञान कराया कि ‘‘मित्र’’ पुलिस वास्तविक रूप से किसकी मित्र है श्रम विभाग और शासन-प्रशासन व जन प्रतिनिधि विधायक, सांसद, पार्षद व सभासद सब के सब पूंजीपतियों (मालिकों) के लिए हैं। मजदूरों-मेहनतकशों के नहीं हैं।
मजदूरों के असली दोस्त उनके जैसे कम्पनी में काम करने वाले मजदूर ही हैं।
इस हड़ताल का सबक यही है कि मजदूरों को सबसे पहले अपनी एक वास्तविक संघर्ष करने वाली कमेटी का गठन कर यूनियन पंजीकृत कराना होगा। जो मजदूर हड़ताल में नहीं थे उन्हें समझाना होगा कि आपके हड़ताल में न रहने से हम सभी का नुकसान हुआ। हमें सामूहिक रूप से एकजुट होना होगा, हम सबका साझा दुश्मन पूंजीपति वर्ग ही है जिसमें उसका प्रबंधन वर्ग भी शामिल है। हमें मजदूर वर्ग की वर्गीय एकता पर विश्वास करना होगा। अपने आर्थिक संघर्षों के साथ-साथ हमें मजदूर वर्ग के राज समाजवाद के लिए भी आगे आना होगा। जहां मनुष्य द्वारा मनुष्य के शोषण का अंत होगा।
-हरिद्वार संवाददाता
एंकर इलेक्ट्रिकल्स प्राइवेट लिमिटेड (अब पैनासोनिक लाइफ साल्यूशंस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) ने हरिद्वार के सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र में अपने पहले संयंत्र की स्थापना 2000 के दशक के मध्य में की थी। यह संयंत्र मूल रूप से कंपोजिट मोल्डिंग आर्टिकल्स (Compressed Moulding Articles) के निर्माण के लिए स्थापित किया गया था। बाद में, कंपनी ने अक्टूबर 2016 में हरिद्वार में 150 करोड़ रु. के निवेश से एक नया ग्रीनफील्ड संयंत्र शुरू किया, जिससे मासिक उत्पादन क्षमता 2.5 करोड़ यूनिट्स तक बढ़ गई।
पैनासोनिक ने एंकर इलेक्ट्रिकल्स में अप्रैल 2007 में 80 प्रतिशत हिस्सेदारी 2,000 करोड़ रु. में खरीदी, जिससे यह Matsushita Electric Works (अब पैनासोनिक इलेक्ट्रिक वर्क्स) की सहायक कंपनी बन गई। बाद में, सितंबर 2009 में, पैनासोनिक ने शेष 20 प्रतिशत हिस्सेदारी भी अधिग्रहित कर ली, जिससे एंकर, पैनासोनिक की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी बन गई।