बेलसोनिका यूनियन का 156 दिन से चल रहा धरना स्थगित, संघर्ष जारी

गुड़गांव/ हरियाणा राज्य के गुरुग्राम में लघु सचिवालय के सामने चल रहा बेलसोनिका मजदूर यूनियन के मजदूरों का प्रतिरोध धरना 156 दिन पूरे होने के बाद समाप्त कर दिया गया। गुरुग्राम के मानेसर स्थित बेलसोनिका ऑटो काम्पानेंट इंडिया प्राइवेट लिमिटेड में कार्यरत मजदूरों द्वारा पिछले तीन साल से कंपनी प्रबंधन द्वारा की जा रही खुली-छिपी छंटनी के विरोध में अपने यूनियन के नेतृत्व संघर्ष चलाया जा रहा है। यह संघर्ष सितंबर 2021 में कंपनी में मजदूरों की छंटनी की मंशा से प्रबंधन द्वारा लाई गई वीआरएस स्कीम से शुरू हुआ। यह छंटनी के खिलाफ संघर्ष अपने विभिन्न पड़ावों से होता हुआ 12 अक्टूबर 2023 को गुरुग्राम के लघु सचिवालय के सामने शुरू हुए प्रतिरोध धरने तक पहुंचा। 
    
धरने के 156 दिन पूरे होने तक कंपनी प्रबंधन 24 मजदूरों को बर्खास्त एवं दो को निलंबित कर चुका है तथा फैक्टरी में कार्य करने वाले 12 मजदूरों को नौकरी बर्खास्तगी का द्वितीय कारण बताओ नोटिस भी जारी कर चुका है। 
    
धरना स्थगित करते वक्त एक प्रेस कांफ्रेंस यूनियन द्वारा आयोजित की गयी। प्रेस कांफ्रेंस में यूनियन पदाधिकारियों ने बताया कि वह प्रतिरोध धरना समाप्त कर रहे हैं पर उनका संघर्ष जारी रहेगा। बेलसोनिका यूनियन ने प्रबंधन द्वारा पैदा किए जा रहे मजदूरों के बीच स्थाई तथा ठेके के विभाजन को चुनौती देते हुए अपनी वर्गीय एकता को और मजबूत करने के लिए ठेका मजदूर को अपनी यूनियन की सदस्यता दी। बेलसोनिका यूनियन ने मजदूर-मजदूर भाई-भाई के नारे को इस सदस्यता से व्यवहार में उतारा तथा मजदूर को एक वर्ग के तौर पर संगठित करने का प्रयास किया। 
    
यूनियन द्वारा इस प्रकार मजदूरों को संगठित करने का प्रयास बेलसोनिका प्रबंधन तथा मारुति प्रबंधन को रास नहीं आया और उसने ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार, हरियाणा सरकार के साथ गठजोड़ कायम कर बेलसोनिका यूनियन का पंजीकरण रद्द कर दिया। प्रबंधन तथा ट्रेड यूनियन रजिस्ट्रार की मिलीभगत से की गई यह कार्रवाई मजदूरों के संगठित होने के जनवादी अधिकार पर किया गया हमला था। प्रबंधन द्वारा किए जा रहे मजदूरों के अधिकारों पर हमले को श्रम विभाग द्वारा निरंतर सहयोग मिला है। इसकी एक बानगी इस तथ्य में दिखती है कि 156 दिन से लघु सचिवालय, गुरुग्राम के सामने मजदूर अपनी मांगों के साथ धरने पर बैठे हुए थे लेकिन शासन-प्रशासन व श्रम विभाग द्वारा कोई सुनवाई नहीं की गई जबकि यूनियन द्वारा दर्जनों ज्ञापन उपायुक्त महोदय को दिए गए तथा यूनियन द्वारा मिलकर भी मामले के समाधान के लिए बात की गई लेकिन आज तक भी कोई समाधान तो दूर प्रशासन द्वारा कोई आश्वासन नहीं दिया गया। 
    
पंजीकरण रद्द किए जाने के खिलाफ माननीय हाईकोर्ट, चंडीगढ़ में चल रही सुनवाई को न्यायालय द्वारा छह माह लंबी तारीख दे दी गई है। शासन-प्रशासन व श्रम विभाग के साथ-साथ न्यायालय भी मजदूरों की समस्याओं पर संवेदनहीन नजर आता है। कंपनी प्रबंधन के साथ-साथ श्रम विभाग तथा शासन-प्रशासन द्वारा यह हमला केवल बेलसोनिका यूनियन पर ही नहीं है बल्कि औद्योगिक क्षेत्र के सभी मजदूरों और यूनियनों पर है जिसके लिए जरूरत यह थी कि औद्योगिक क्षेत्र में काम कर रही सभी फैक्टरी यूनियन तथा ट्रेड यूनियन मिलकर इस हमले के खिलाफ संघर्ष करतीं। लेकिन ट्रेड यूनियनों के जिस सहयोग एवं समर्थन की उम्मीद मजदूरों को थी वह सक्रिय सहयोग नहीं मिला। उनकी भागीदारी मात्र मौन समर्थन तक सीमित रही। इन तमाम परिस्थितियों के मद्देनजर बेलसोनिका यूनियन ने 156 दिन से चल रहे प्रतिरोध धरने को स्थगित कर दिया। अब यूनियन संघर्षों के नए रास्तों के साथ छंटनी के खिलाफ संघर्ष जारी रखेगी। 
    
बेलसोनिका प्रबंधन वर्ष 2021 से ही बड़े पैमाने पर स्थाई श्रमिकों की छंटनी कर उनके स्थान पर ठेका मजदूरों को भर्ती कर श्रम की खुली लूट करना चाहता था।
    
बेलसोनिका यूनियन के संघर्ष में इंकलाबी मजदूर केंद्र व प्रगतिशील महिला एकता केंद्र की सक्रिय भूमिका रही है। मजदूरों की वर्गीय एकता के पहलू को श्रमिकों के बीच में ले जाकर तथा प्रबंधन के खिलाफ अपनी वर्गीय एकता से लड़ना यह बात इंकलाबी मजदूर केंद्र तथा प्रगतिशील महिला एकता केंद्र द्वारा ही स्थापित की गई। यह बात व्यवहार में यूनियन द्वारा लागू कर प्रबंधन द्वारा किए गए छंटनी के हमले को तीन वर्षों तक पीछे धकेल कर रखना दिखलाता है कि यह बिना वर्गीय एकता के संभव नहीं था। 
    
यूनियन अब नये सिरे से इलाके की विभिन्न फैक्टरियों के मजदूरों को एकजुट कर संघर्ष को आगे बढ़ायेगी। यूनियन नेताओं ने घोषित किया कि धरना स्थगित कर उन्होंने संघर्ष समाप्त नहीं किया है बल्कि वे संघर्ष लगातार जारी रखेंगे। उन्होंने धरना समाप्त कर एक कदम पीछे खींचना है ताकि मजदूरों की व्यापक एकजुटता कायम कर भविष्य में संघर्ष की दिशा में चार कदम आगे बढ़ा जा सके।             -गुड़गांव संवाददाता 

आलेख

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के दो वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है। यह युद्ध लम्बा खिंचता जा रहा है। इस युद्ध के साथ ही दुनिया में और भी युद्ध क्षेत्र बनते जा रहे हैं। इजरायली यहूदी नस्लवादी सत्ता द्वारा गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है। इस नरसंहार के विरुद्ध फिलिस्तीनियों का प्रतिरोध युद्ध भी तेज से तेजतर होता जा रहा है।

अल सल्वाडोर लातिन अमेरिका का एक छोटा सा देश है। इसके राष्ट्रपति हैं नाइब बुकेली। इनकी खासियत यह है कि ये स्वयं को दुनिया का ‘सबसे अच्छा तानाशाह’ (कूलेस्ट डिक्टेटर) कहते ह

इलेक्टोरल बाण्ड के आंकड़ों से जैसे-जैसे पर्दा हटता जा रहा है वैसे-वैसे पूंजीपति वर्ग और उसकी पाटियों के परस्पर संबंधों का स्वरूप उजागर होता जा रहा है। इसी के साथ विषय के प