साहित्य

केटी निव्याबन्दी की दो कविताएं

आजादी

1. आजादी
हम आजादी चाहते हैं
पीले हीरे की तरह
धूल तो धूल से सही
पत्थर तो पत्थर से सही

हमारे नंगे हाथों का लहू
टपकता है चट्टानों के ऊपर

तुम्हारे पांवों के नीचे कोई जमीन नहीं -दुष्यंत कुमार

तुम्हारे पांव के नीचे कोई जमीन नहीं
कमाल ये है कि फिर भी तुम्हें यकीन नहीं 

मैं बेपनाह अंधेरों को सुब्ह कैसे कहूं
मैं इन नजारों का अंधा तमाशबीन नहीं 

सवाल पर सवाल -मृगया शोभनम

सवाल तरह-तरह के होते हैं,
कुछ सवाल
ओस की बूदों की तरह होते हैं,
सुबह की धूप में
कुछ देर जगमगा कर 
लुप्त हो जाते हैं।

शत्रु एक है -सुकान्त भट्टाचार्य

आज यह देश विपन्न है; निरन्न है जीवन आज,
मौत का निरन्तर साथ है, रोज-रोज दुश्मनों के हमले
रक्त की अल्पना आंकते हैं, कानों में गूंजता है आर्तनाद;

जनादेश -संजय चतुर्वेदी

चालीस प्रतिशत लोगों ने वोट नहीं डाला 
इनमें अधिकांश चाहते तो वोट डालते 
उन्हें लगा इससे क्या होगा 
या उन्होंने इसके बारे में कुछ सोचा ही नहीं 

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है -केदारनाथ अग्रवाल

जो जीवन की धूल चाट कर बड़ा हुआ है 
तूफानों से लड़ा और फिर खड़ा हुआ है 
जिसने सोने को खोदा लोहा मोड़ा है 
जो रवि के रथ का घोड़ा है 
वह जन मारे नहीं मरेगा 
नहीं मरेगा 

रोटी और संसद -धूमिल

एक आदमी 
रोटी बेलता है 
एक आदमी रोटी खाता है 
एक तीसरा आदमी भी है 
जो न रोटी बेलता है, न रोटी खाता है 
वह सिर्फ रोटी से खेलता है 
मैं पूछता हूँ.. 

आलेख

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अमरीकी सरगना ट्रम्प लगातार ईरान को धमकी दे रहे हैं। ट्रम्प इस बात पर जोर दे रहे हैं कि ईरान को किसी भी कीमत पर परमाणु बम नहीं बनाने देंगे। ईरान की हुकूमत का कहना है कि वह

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संघ और भाजपाइयों का यह दुष्प्रचार भी है कि अतीत में सरकार ने (आजादी के बाद) हिंदू मंदिरों को नियंत्रित किया; कि सरकार ने मंदिरों को नियंत्रित करने के लिए बोर्ड या ट्रस्ट बनाए और उसकी कमाई को हड़प लिया। जबकि अन्य धर्मों विशेषकर मुसलमानों के मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया। मुसलमानों को छूट दी गई। इसलिए अब हिंदू राष्ट्रवादी सरकार एक देश में दो कानून नहीं की तर्ज पर मुसलमानों को भी इस दायरे में लाकर समानता स्थापित कर रही है।

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