यूनियन चुनाव में पुराने नेता चुन मजदूरों का प्रबंधन को मुंहतोड़ जवाब

रुद्रपुर/ विगत 15 दिसंबर 2022 को जिला प्रशासन व श्रम विभाग की मध्यस्थता में इंटरार्क कंपनी प्रबंधन एवं यूनियन के मध्य लिखित समझौता संपन्न हुआ। और इंटरार्क की सिडकुल पंतनगर एवं किच्छा स्थित दोनों कंपनियों के गेटों में करीब 16 माह तक चला साझा धरने और आंदोलन को भी इसी के साथ समाप्त कर दिया गया।                  
    उक्त लिखित समझौते के तहत आंदोलन के दौरान वर्ष 2022 में 51 निलंबित एवं 13 बर्खास्त किये गए मजदूरों की कार्यबहाली करने एवं 1700 रुपये वेतन वृद्धि करने आदि बिंदु दर्ज थे। उक्त 64 मजदूरों में से 34 मजदूरों को 3 माह की व्क् पर बाहर भेजने और घरेलू जांच करने किन्तु घरेलू जांच के दौरान और पश्चात किसी भी मजदूर को बर्खास्त न करने की शर्त दर्ज थी। और शेष 30 मजदूरों की किच्छा व पन्तनगर में ही कार्य बहाली करने की बात दर्ज थी। समझौते के तहत 30 मजदूरों की किच्छा व पंतनगर प्लांट में कार्यबहाली की गई। एवं 34 मजदूरों में से 33 मजदूरों की कार्यबहाली की गई। और उन्हें 3 माह की व्क् पर उत्तराखंड से बाहर विभिन्न साइटों पर भेजा गया। एक मजदूर साथी ने त्यागपत्र देकर हिसाब ले लिया। उक्त 33 मजदूरों में से रोहितास नामक जुझारू मजदूर की लुधियाना साइट पर सड़क दुर्घटना में दर्दनाक मौत हो गई थी। साइट पर भेजे गए 34 उक्त मजदूर दोनों प्लांटों की यूनियनों का दिमाग़ और रीढ़ थी। यानि कि मुख्य नेतृत्वकारी एवं कार्यकर्ता थे। अब कंपनी प्रबंधन ने किच्छा व पन्तनगर प्लांट में यूनियन से जुड़े मजदूरों को यूनियन नेतृत्व के खिलाफ भड़काने की साजिश रची। कंपनी के सिडकुल पंतनगर स्थित प्लांट में मार्च माह में वार्षिक समारोह का भव्य आयोजन किया। किच्छा एवं पन्तनगर प्लांट के सभी मजदूरों का उंस दिन सवैतनिक अवकाश घोषित किया गया। और दोनों प्लांटों के सभी मजदूरों को परिवार सहित अनिवार्य रूप से कार्यक्रम में शामिल होने का आदेश दिया गया। कार्यक्रम में महंगे-महंगे गायकों को बुलाया गया। सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत मजदूरों को खुद एवं अपने बच्चों को गीत, नृत्य एवं अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने को प्रेरित किया गया। सामूहिक भोज की भी व्यवस्था की गई। किन्तु यूनियन से जुड़े मजदूरों ने अपने परिवार को कार्यक्रम में शामिल ही नहीं किया। कंपनी मालिक एवं ब्म्व् हेड ऑफिस के उच्च अधिकारियों एवं लोकल प्लांट के प्लांट हेड आदि अधिकारियों ने लंबे-लंबे भाषण देकर मजदूरों का ब्रेन वाश करने की पूरी कोशिश की। नेताओं को बदलने की बार-बार अपील की। कंपनी मालिक के भाषणों के समय संचालक द्वारा बार-बार अपील करने के पश्चात भी यूनियन से जुड़े मजदूरों ने तालियां नहीं बजाईं। और निष्क्रिय रूप से प्रतिरोध दर्ज कराया।                              
    इसी बीच किच्छा प्लांट की यूनियन के फरवरी माह में आम चुनाव हुये जिसमें मजदूरों ने पुराने जुझारू नेताओं को फिर से चुना। तो वहीं कुछ जुझारू व समर्पित मजदूरों को नए पदाधिकारियों व कार्यकारिणी सदस्य के रूप में चुना गया। पुराने जुझारू मजदूर पान मोहम्मद को पुनः महामंत्री के पद पर चुनना एवं नए जुझारू मजदूर हृदयेश कुमार को अध्यक्ष के पद पर चुनकर मजदूरों ने कंपनी मालिक को अपने इरादे जाहिर कर दिए।                                    
    वहीं पंतनगर प्लांट में कंपनी प्रबंधन द्वारा नेताओं को बदलने की अपील बार-बार की। चापलूस और कमजोर यूनियन सदस्यों के माध्यम से इसके लिए एक नेटवर्क खड़ा किया गया। और इस हेतु निरन्तर प्रचार जारी रखा। कुछ सदस्यों में इसका असर पड़ा।                                        
    इसी बीच पंतनगर प्लांट के 21 एवं किच्छा प्लान्ट के 7 मजदूर साथियों की 31 मार्च को 3 माह की व्क् की अवधि समाप्त हो रही थी। कि कंपनी ने उक्त मजदूरों का उत्तराखंड राज्य से बाहर स्थानांतरण करने का आदेश जारी कर दिया। और व्क् की अवधि बढ़ा दी गई। मजदूरों ने स्थानांतरण पत्र में अपनी असहमति दर्ज कर दी। और सभी मजदूर 31 मार्च को ही वापस लौट आये। जब उक्त 28 मजदूर 3 अप्रैल को कंपनी के किच्छा एवं पंतनगर प्लांट में वापस लौटे तो उन्हें कंपनी ने नोयडा मुख्यालय में ड्यूटी जाइन करने को कहा। औऱ उनकी गेटबन्दी कर दी।          
    इसके पश्चात यूनियन ने श्रम विभाग में इसकी शिकायत की। और जिला प्रशासन की मध्यस्थता में हुये समझौते के तहत मजदूरों की कार्यबहाली की मांग की।                         
    यहां यह बात अत्यंत दिलचस्प है कि कंपनी के प्रमाणित स्थाई आदेशों में मजदूरों की सहमति के बिना उनका उत्तराखंड राज्य से बाहर स्थानांतरण करना प्रतिबंधित है। उत्तराखंड राज्य के मॉडल स्टैंडिंग आर्डर में भी यही बात दर्ज है। पंतनगर प्लांट की यूनियन द्वारा दायर की गई याचिका पर उत्तराखंड हाईकोर्ट द्वारा भी जुलाई 2020 में मजदूरों के उत्तराखंड राज्य से बाहर स्थानांतरण पर स्टे लगाते हुये आदेश दिया गया था। इसके पश्चात भी कंपनी द्वारा उक्त 28 मजदूरों का उत्तराखंड राज्य से बाहर स्थानांतरण कर दिया गया। दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ उक्त मजदूरों को नोयडा मुख्यालय से ड्यूटी जॉइन करने को बार-बार पत्र भेजे जा रहे हैं तो वहीं पंतनगर व किच्छा प्लांट हेड द्वारा उनकी घरेलू जांच बिठाकर जांच में शामिल होने का आदेश दिया गया है। ऐसे में एक व्यक्ति एक ही समय में दो अलग-अलग राज्यों में कार्यस्थल पर कैसे उपस्थित हो सकता है। यह सब कुछ प्रबंधन की हड़बड़ी को दिखाता है। इसी हड़बड़ी में प्रबंधन द्वारा गड़बड़ी की जा रही है। यूनियन द्वारा वार्ताओं के दौरान उक्त तथ्यों को उठाया गया। ।स्ब् द्वारा दो वार्ताओं के पश्चात ही वार्ता बंद कर दी गयी। और जांच आख्या जारी कर क्स्ब् से प्रबंधन के विरुद्ध स्टैंडिंग ऑर्डर के उल्लंघन पर कानूनी कार्यवाही करने का अनुरोध किया गया है।           
    दोनों प्लांटों की यूनियनों ने आंदोलन की रणनीति बनाने एवं मजदूरों का मनोबल बढ़ाने को 16 अप्रैल 2023 को दोनों प्लांटों के मजदूरों की सामूहिक आम सभा आयोजित की। आम सभा के निर्णय के पश्चात कंपनी में कार्य कर रहे करीब 450 मजदूरों ने हस्ताक्षर कर कंपनी के ब्म्व् को समझौते को लागू कर उक्त 28 मजदूरों की कार्यबहाली करने एवं 1700 रुपये वेतन वृद्धि करने की मांग की। अन्यथा औद्योगिक अशांति उत्पन्न होने की चेतावनी दी।                                        
    इसी आम सभा में 23 अप्रैल को पंतनगर प्लांट की यूनियन के आम चुनाव की घोषणा की गई। चुनाव की खबर सुनते ही प्रबंधन ने यूनियन नेताओं को बदलने को मजदूरों को भड़काने की अपनी मुहिम को तेज कर दिया। इसके प्रभाव में कई मजदूरों ने चुनाव लड़ने हेतु अपना नामांकन भी किया। आम चुनाव में कार्यकारिणी सदस्य के 15 पदों हेतु कुल 29 लोगों ने अपना नामांकन दाखिल कर अपनी दावेदारी प्रस्तुत की। 2 लोगों का नामांकन निरस्त हुआ।                               
    23 अप्रैल को हुये चुनाव में मजदूरों ने 27 उम्मीदवारों में से पुराने मजदूरों नेताओं को ही चुनकर कंपनी मालिक और प्रबंधन को मुंहतोड़ जवाब दिया। पुराने नेताओं को बदलने और उनके खिलाफ अविश्वास उत्पन्न करने की साजिश को विफल कर दिया। कार्यकारिणी समिति ने भी उपाध्यक्ष के पद को छोड़कर शेष सभी पदों पर पुराने साथियों को ही चुना।
    समझौते को लागू कराने को मजदूरों ने ।क्ड रुद्रपुर से कई बार मुलाकात की। किन्तु कोई सुनवाई नहीं की गई। बल्कि ।क्ड  द्वारा इंटरार्क मजदूरों का जनाधार कमजोर करने की भरपूर कोशिश की गयी। 25 अप्रैल को इंटरार्क मजदूरों के प्रतिनिधिमंडल में शामिल क्रांतिकारी लोक अधिकार संगठन के रुद्रपुर शहर सचिव एवं क्षेत्र के वरिष्ठ एवं सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता शिवदेव सिंह को बाहरी व्यक्ति घोषित कर उनसे अपमानजनक व्यवहार किया गया। 26 अप्रैल को इंटरार्क मजदूरों के प्रतिनिधि मंडल के साथ उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ता और ब्छळ टैंपू यूनियन के अध्यक्ष सुब्रत कुमार विश्वास को ।क्ड द्वारा अपमानित किया गया। औऱ पुलिस को बुलाकर उन्हें गिरफ्तार करवा दिया और धारा 151 के तहत शांतिभंग करने के आरोप में जेल भेज देने का आदेश दिया। उन्हें सिडकुल पंतनगर पुलिस चौकी भेजा गया। इंक़लाबी मजदूर केंद्र की अपील व मार्गदर्शन में इंटरार्क मजदूरों और ब्छळ टैंपू चालकों ने सिडकुल पुलिस चौकी को तत्काल ही घेर लिया। समय गुजरने के साथ ही पुलिस चौकी में मजदूरों की और टैंपू चालकों की टैंपू के साथ भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। पुलिस ने नजाकत को भांपते हुये सुब्रत कुमार विश्वास को तुरंत छोड़ दिया। इसके खिलाफ विभिन्न मजदूर संगठनों और सामाजिक संगठनों द्वारा जिलाधिकारी को 28 अप्रैल को ज्ञापन प्रेषित किया गया।                      
    अब मजदूरों के परिवार की महिलाओं ने भी सड़क पर उतरने का निर्णय ले लिया है। इसके खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाकर जनसमर्थन जुटाया जा रहा है। इसी क्रम में 1 मई को महिलाओं द्वारा जिलाधिकारी ऊधमसिंह नगर को ज्ञापन देकर मामले को हल करने का अनुरोध किया जाएगा। मामला हल न होने पर 7 मई को शाम को 5 बजे महिलाएं और मजदूर क्षेत्र की जनता और सामाजिक संगठनों के साथ मिलकर अम्बेडकर पार्क रुद्रपुर में एकत्रित होकर प्रतिरोध सभा करेंगे। और जिलाधिकारी आवास तक पदयात्रा निकालकर निर्णायक संघर्ष की ओर बढ़ा जाएगा। 
        -रुद्रपुर संवाददाता
 

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