अवैध वसूली और उत्पीड़न पर ऑटो चालक लामबंद

रुद्रपुर/ दिनांक 25 अप्रैल 2023 को रुद्रपुर में सीएनजी ऑटो चालकों द्वारा सीएनजी ऑटो यूनियन के बैनर तले जुलूस निकालकर एक शिकायती पत्र कोतवाली रुद्रपुर में दिया गया। यह शिकायती पत्र कुछ अराजक तत्वों द्वारा स्थानीय विधायक व पुलिस प्रशासन के नाम पर टेंपो चालकों से पैसा वसूली व विरोध करने पर मारपीट छीना-झपटी की घटना के विरोध में था। कोतवाल महोदय द्वारा टैम्पो चालकों को यह आश्वासन दिया गया कि किसी भी प्रकार का कोई भी पैसा किसी को न दिया जाए। यातायात नियमों का पालन किया जाए और निर्धारित अड्डों से ही सवारी उठाई जाए। अगर कोई किसी प्रकार की वसूली करता है तो 112 पर फोन कर पुलिस को सूचित किया जाए व तत्काल पुलिस प्रशासन वहां पर पहुंचकर समस्या का समाधान करेगा।
    बता दें कि पूर्व में भी इसी प्रकार की घटना हुई थी। इसके विरोध में समस्त ऑटो चालकों द्वारा मीटिंग कर प्रशासन को समस्या से अवगत कराया गया था। उस समय भी पुलिस के अधिकारियों द्वारा यह आश्वासन दिया गया था कि इस तरह की अवैध वसूली नहीं चलने दी जाएगी और मारपीट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। लेकिन अफसोस की बात है कि कुछ माह का समय बीतते ही पुनः वसूली शुरू हो गई है। और पैसा ना देने पर मारपीट व जान से मारने की धमकी और काम न करने देने की धमकी दी जा रही है। इससे ऑटो चालकों में शासन-प्रशासन के प्रति रोष व्याप्त हुआ और ऑटो चालक अपनी सामूहिक शक्ति के दम पर इनके खिलाफ संघर्ष के लिए मैदान में कूद पड़े। ऑटो चालक सीएनजी ऑटो यूनियन के बैनर तले एकत्र होकर विरोध कर रहे हैं। लम्पट तत्व प्रति ऑटो पर 20रु. मुंशी शुल्क के नाम से प्रतिदिन लेते हैं। नहीं देने पर मारपीट व गाली गलौज की जाती है। यह राशि प्रति ऑटो एकत्र की जाती है। पूरे शहर के अंदर सैकड़ों की संख्या में ऑटो हैं। और यह राशि भी महीने में लाखों में एकत्र होती है। यह राशि शासन-प्रशासन, मुंशी व गुंड़ों में बंटती होगी, इसकी पूरी संभावना है जिसके दम पर वसूली करने वाले सीना ठोक कर वसूली करते हैं। उन्हें किसी भी चीज का कोई डर नहीं है । यहां तो वही पुरानी कहावत चरितार्थ होती है कि ‘‘सैंया भए कोतवाल तो डर काहे का’’। जब शासन-प्रशासन और सत्ता प्रतिष्ठान में बैठे हुए लोगों का हाथ ऐसे लोगों के सर पर हो तो निश्चित ही उन्हें डर नहीं होता है।
    ऑटो चालकों द्वारा अपने-अपने ऑटो पर यूनियन का फ्लेक्सी लगाकर अपनी एकता का इजहार किया गया और घोषणा की गई कि वे किसी प्रकार का पैसा बिना अपने यूनियन पदाधिकारियों की सहमति के नहीं देंगे।
    वर्तमान विधायक द्वारा अखबारों में यह बयान दिया गया कि यह वसूली पूर्व से चली आ रही है मेरे समय की कोई नई वसूली नहीं है। लिहाजा वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। दूसरी तरफ जो निवर्तमान विधायक हैं, उनका कहना है कि उनके शासनकाल में इस प्रकार की कोई अवैध वसूली नहीं होती है। परन्तु उनके द्वारा इस प्रकार की अवैध वसूली को बदस्तूर जारी रखना उनकी मंशा को दिखाता है। 
    उक्त घटनाक्रम से एक बात बिल्कुल पानी की तरह एकदम साफ हो जाती है कि बिना शासन-प्रशासन के या सत्ता में बैठे हुए लोगों के वरदहस्त के कोई भी इस प्रकार की वसूली करने की हिमाकत नहीं कर सकता है। जो वसूली का विरोध करता है तो उसे दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। ऑटो चालकों से इस प्रकार एकत्र पैसा यूनियन के कामों में आना चाहिए ना कि किसी के व्यक्तिगत कामों में या घूस देने के काम में। उसे ऑटो चालकों के कल्याण के कामों में लगाया जा सकता है। उनकी दुख-परेशानी में मदद की जा सकती है। ऐसे कामों के लिए तो इस प्रकार का पैसा दिया जा सकता है परंतु नेताओं, पुलिस या आरटीओ के नाम पर इस प्रकार का पैसा वसूलना सरासर गलत है।
    ऑटो चालक अकेले-अकेले इस प्रकार की घटनाओं से डर जाते हैं। अगर वे संगठित हो जाएं, अपनी जुझारू दमदार यूनियन बना लें तो ऑटो चालकों के जीवन की बेहतरी के लिए संघर्ष के साथ कई कदम उठाये जा सकते हैं। 
        -रुद्रपुर संवाददाता
 

आलेख

अमरीकी साम्राज्यवादी यूक्रेन में अपनी पराजय को देखते हुए रूस-यूक्रेन युद्ध का विस्तार करना चाहते हैं। इसमें वे पोलैण्ड, रूमानिया, हंगरी, चेक गणराज्य, स्लोवाकिया और अन्य पूर्वी यूरोपीय देशों के सैनिकों को रूस के विरुद्ध सैन्य अभियानों में बलि का बकरा बनाना चाहते हैं। इन देशों के शासक भी रूसी साम्राज्यवादियों के विरुद्ध नाटो के साथ खड़े हैं।

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच किलो राशन मुफ्त हर महीने दे रही है। सरकार के मंत्री विदेश में जाकर इसे शान से दोहराते हैं। 

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान में राम, लक्ष्मण, सीता के चित्र हैं। संविधान निर्माताओं को राम से प्रेरणा मिली है इसीलिए संविधान निर्माताओं ने राम को संविधान में उचित जगह दी है।
    

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है