गोरजा इंटरनेशनल कम्पनी में तीन मजदूरों की मौत

हरियाणा के पानीपत जिले में स्थित गोरजा इंटरनेशनल कम्पनी है। इस कम्पनी में कम्बल व दरियां बनाने का काम होता है। इस कम्पनी का मालिक नवीन है और इस मालिक के दो पार्टनर हैं। 
    
इस कम्पनी में तीन मजदूरों की 7 अक्टूबर की रात को मौत हो गई। कंपनी प्रबंधन ने इसे दुर्घटना बताते हुए कहा कि तीनों मजदूर गलती से कैमिकल टैंक में गिर कर मर गये। जबकि मृतकों के परिजनों का कहना है कि यह फैक्टरी में हुई दुर्घटना नहीं है बल्कि यह मालिक नवीन और सहयोगियों द्वारा की गई हत्या है। परिजनों ने कहा कि इस्लाम 35 वर्ष व कुरबान 28 वर्ष कम्पनी मालिक का ट्रैक्टर चलाते थे, ये दोनों कम्पनी का कैमिकल युक्त पानी टैंकर में भर कर बाहर ड्रेन में डालते थे। यह दोनों मजदूर अलग-अलग समय में ट्रैक्टर चलाते थे, इनके काम का अंतराल एक घंटे का होता था। ये दोनों मजदूर रिश्ते में चाचा-भतीजे लगते थे। मृतकों के परिजनों का कहना था कि ये दोनों शाम 7 बजे कम्पनी में गये और इन दोनों को रात 12 तक घर वापस आ जाना चाहिए था, लेकिन जब ये दोनों नहीं आए तो उन्होंने फोन लगाया लेकिन फोन नहीं लग रहा था। फिर परिवार वाले सुबह जल्दी कम्पनी गये, वहां गार्ड ने बताया कि वो दोनों तो पहले ही चले गए और गार्ड ने उन्हें अन्दर नहीं जाने दिया। फिर उन्हें पास ही में एम्बुलेंस खड़ी दिखाई दी और कम्पनी के अन्दर पुलिस की चहल-पहल हो रही थी।
    
तब परिजन जबरदस्ती कम्पनी के अन्दर घुस गये। उन्होंने वहां देखा कि पानी के हौद से कुछ लोगों को निकाला जा रहा था। उन्होंने मृतकों को ध्यान से देखा तो वो उनके ही बच्चे थे। उसके बाद उन्होंने कम्पनी गेट पर और अन्दर नजर डाली तो सी सी टी वी कैमरे उखड़े हुए थे। कम्पनी ने ऐसा साक्ष्य मिटाने के लिए किया था।
    
मृतकों के परिजनों ने कंपनी मलिक और मालिक के पार्टनरों पर अपने बच्चों की हत्या का आरोप लगाते हुए कहा कि कंपनी मालिक उनके बच्चों से तय समय के अलावा अतिरिक्त काम भी लेता था। जब उनके बच्चों ने अतिरिक्त काम की मजदूरी मांगी तो मलिक ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उनके बच्चों को मारा-पीटा और धमकाया। जब उनके बच्चे 7 तारीख की शाम को 7ः00 बजे काम पर गए तो रात को लौट कर वापस नहीं आए। परिजनों का कहना था कि उनके बच्चों को मार कर केमिकल युक्त पानी के गड्ढे में डाल दिया गया। इस घटना को होते हुए एक अन्य सुरेश नाम के मजदूर ने जो मेंटीनेंस का काम करता था, देख लिया था। कंपनी मालिक और अन्य लोगों ने घटना के खुलासे से बचने के लिए उस तीसरे मजदूर को भी मार कर उन दोनों मजदूरों के साथ ही उसी गड्ढे में फेंक दिया। 
    
फैक्टरी मालिक मजदूरों का शोषण-उत्पीड़न तो करते ही हैं। लेकिन ये परजीवी मालिक, मजदूरों की जान लेने में भी पीछे नहीं रहते। इन मालिकों को अगर मजदूरों की हत्या करके कुछ बचत हो सकती है तो इसको भी ये अपने काम का हिस्सा मानने के साथ-साथ अपना अधिकार समझते हैं। असल में इन मालिकों को फ्री का मजदूर चाहिए। इनसे कोई मजदूर अपने हक-अधिकार की बात करेगा तो उसको ये मालिक इसी तरह सबक सिखाने में विश्वास रखते हैं। इन मालिकों ने ही मजदूरों की सारी मूलभूत सुविधाओं पर डाका डाला हुआ है। यहां तक कि उनके सोचने-समझने की क्षमता को भी मालिकों के वर्ग ने नियंत्रित कर रखा है। मजदूर अपने सामान्य ज्ञान से मालिकों की लूट और इनके लूट के तौर-तरीकों को नहीं समझ पाते।
    
इसलिए देश के सभी मेहनतकशों को इस बात को समझना होगा कि वे भी इंसान हैं। उन्हें भी सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार है कि उनकी भी जान की कीमत है। क्यों उनके साथ जानवरों जैसा व्यवहार होना चाहिए। मजदूर बेहतर समाज और बेहतर जीवन के लिए लड़े बगैर इन जालिम मालिकों की खूनी भूख से नहीं बच सकते। 
          -हरियाणा संवाददाता

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