दंगा -गोरख पाण्डेय

(1)
आओ भाई बेचू आओ
आओ भाई अशरफ आओ
मिल-जुल करके छुरा चलाओ

मालिक रोजगार देता है
पेट काटकर छुरा मंगाओ
फिर मालिक की दुआ मनाओ
अपना-अपना धरम बचाओ
मिल-जुल करके छुरा चलाओ
आपस में कटकर मर जाओ
आओ भाई तुम भी आओ
तुम भी आओ तुम भी आओ
छुरा चलाओ धरम बचाओ
आओ भाई आओ आओ ! 

(2)
छुरा भोंककर चिल्लाये-
‘हर-हर शंकर’
छुरा भोंककर चिल्लाये-
‘अल्लाहो-अकबर’
शोर खत्म होने पर
जो कुछ बचा रहा
वह था छुरा
और बहता लोहू...

(3)
इस बार दंगा बहुत बड़ा था
खूब हुई थी
खून की बारिश
अगले साल अच्छी होगी
फसल मतदान की।           (1978)
 

आलेख

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है

रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले के दो वर्ष से ज्यादा का समय बीत गया है। यह युद्ध लम्बा खिंचता जा रहा है। इस युद्ध के साथ ही दुनिया में और भी युद्ध क्षेत्र बनते जा रहे हैं। इजरायली यहूदी नस्लवादी सत्ता द्वारा गाजापट्टी में फिलिस्तीनियों का नरसंहार जारी है। इस नरसंहार के विरुद्ध फिलिस्तीनियों का प्रतिरोध युद्ध भी तेज से तेजतर होता जा रहा है।

अल सल्वाडोर लातिन अमेरिका का एक छोटा सा देश है। इसके राष्ट्रपति हैं नाइब बुकेली। इनकी खासियत यह है कि ये स्वयं को दुनिया का ‘सबसे अच्छा तानाशाह’ (कूलेस्ट डिक्टेटर) कहते ह

इलेक्टोरल बाण्ड के आंकड़ों से जैसे-जैसे पर्दा हटता जा रहा है वैसे-वैसे पूंजीपति वर्ग और उसकी पाटियों के परस्पर संबंधों का स्वरूप उजागर होता जा रहा है। इसी के साथ विषय के प