अर्थव्यवस्था

श्रम सघन उद्योगों का घटता निर्यात : लाखों मजदूरों का जीवन दांव पर

भारत से वस्तुओं का निर्यात यद्यपि स्थिर बना हुआ है। जबकि श्रम सघन उद्योगों से निर्यात में तेज गिरावट हुई है। ये श्रम सघन उद्योग हैं कपड़ा एवं वस्त्र उद्योग, जेम्स एंड ज्वे

न्यूनतम वेतनमान में मामूली बढ़ोत्तरी भी पूंजीपतियों को बर्दाश्त नहीं

उत्तराखंड में निजी क्षेत्र की फैक्टरियों, दुकानों एवं अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले मजदूरों हेतु घोषित नये न्यूनतम वेतनमान को राज्य के ज्यादातर पूंजीपति लागू करने क

पति, पत्नी और वो

‘पति, पत्नी और वो’ नाम से भारत में बम्बईया सिनेमा ने दो लोकप्रिय फिल्में बनायी। एक 1978 में और दूसरी 2019 में आई। दोनों फिल्में चलीं। लोगों का खूब मनोरंजन किया अैर फिर कौ

टी बी रोधी दवाओं की किल्लत

मोदी सरकार की घोषणा है कि 2025 तक भारत को टी बी से मुक्त कर दिया जाएगा। पहले की 2030 तक की समय सीमा को पांच वर्ष कम कर यह लक्ष्य लिया गया। लेकिन जैसा कि मोदी सरकार की आम

भारत में पढ़े-लिखे नौजवानों में बढ़ती बेरोजगारी

चुनावी साल है, ‘नये वोटर’ को रिझाने के लिए राजनीतिक दल कलाबाजियां कर रहे हैं। लेकिन इस सब के बीच देश में नौजवानों की क्या स्थिति है? पढ़ा लिखा नौजवान घर पर क्यों बैठा है?

खुश हो जाइये ! अब अपन गरीब नहीं रहे !

इंदिरा गांधी ने 70 के दशक में जब गरीबी हटाओ का नारा दिया था तो देश के सारे गरीब-मजलूम खुश हो गये थे कि चलो अब हमारे दिन बहुरेंगे। पर इंदिरा गांधी को गरीबी हटाने का असली फ

वैश्विक निवेशक समिट और मोदी

2002 के गुजरात दंगों के आयोजन के बाद गुजरात के तब के मुख्यमंत्री रहे मोदी ने 2003 में वाइब्रेंट गुजरात का आयोजन करवाया था। यह ग्लोबल इन्वेस्टर्स सम्मेलन था जिसमें देशी और

ऊंची विकास दर की असलियत

भारत सरकार ने वर्ष 2023-24 की दूसरी तिमाही के आंकड़े जारी कर दिये हैं। इन आंकड़ों के अनुसार दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर 2023) के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 7.

नोटबंदी के सात साल

विगत 8 नवम्बर को नोटबंदी के 7 साल पूरे हो गये। भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, 2016 की 8 नवम्बर को रात 8 बजे अचानक टीवी पर प्रकट होकर की गई नोटबंदी की घोषणा, इससे जुड़े

आलेख

रूसी राष्ट्रपति पुतिन फिर से राष्ट्रपति बन गये हैं। रूस ने द्वितीय विश्व युद्ध में विजय को विजय दिवस के रूप में समूचे रूस में मनाया। इस विजय दिवस समारोह में रूस ने अपनी स

किसी को इस बात पर अचरज हो सकता है कि देश की वर्तमान सरकार इतने शान के साथ सारी दुनिया को कैसे बता सकती है कि वह देश के अस्सी करोड़ लोगों (करीब साठ प्रतिशत आबादी) को पांच क

आखिरकार संघियों ने संविधान में भी अपने रामराज की प्रेरणा खोज ली। जनवरी माह के अंत में ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोदी ने एक रहस्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि मूल संविधान मे

मई दिवस पूंजीवादी शोषण के विरुद्ध मजदूरों के संघर्षों का प्रतीक दिवस है और 8 घंटे के कार्यदिवस का अधिकार इससे सीधे जुड़ा हुआ है। पहली मई को पूरी दुनिया के मजदूर त्यौहार की

सुनील कानुगोलू का नाम कम ही लोगों ने सुना होगा। कम से कम प्रशांत किशोर के मुकाबले तो जरूर ही कम सुना होगा। पर प्रशांत किशोर की तरह सुनील कानुगोलू भी ‘चुनावी रणनीतिकार’ है