तुम जंगली तो हम जंगली - लोहाब आसेफ अल जुंदी (फिलिस्तीनी मूल के कवि)

होलोकास्ट झेल कर बच निकले लोगों
मुझसे बात करो
मैं समझना चाहता हूं
कि तुम्हारे नाम पर यह सब
जो किया जा रहा है
उसके पीछे क्या तुम खड़े हो?
मुझे लगता था
तुम जिन भयंकर हादसों से बच कर आए हो
उनसे तुम्हारी आत्मा ज्यादा सभ्य हो गई है।
बम कम जानलेवा या अधम नहीं हैं
तुम क्यों दूसरों से इतना डरते हो?
कि उनकी जान लेने पर उतारू हो?
एक आंख के बदले हजार आंखें?
होलोकास्ट की संतानों
इस तरह वहशी मत बनो
कि लगे तुम्हारी आंखें ही फूट गयी हैं।
    (साभार : अनुनाद.कॉम)

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