तुम्हारी तरह
मैं प्यार करता हूं
प्यार को,
जिन्दगी को,
चीजों की मीठी खुशबुओं को,
जनवरी माह के आसमानी नजारे को
प्यार करता हूं
मेरा लहू उबलता है
मेरी आंखें हंसती हैं
कि मैं आंसुओं की कलियां जानता हूं
मुझे भरोसा है कि दुनिया ख़ूबसूरत है
और कविता रोटी की तरह
सबकी जरूरत है
और यह
कि मेरी शिराएं मुझमें ही खत्म नहीं होतीं
बल्कि ये लहू एक है
उन सबका
जो लड़ रहे हैं जिन्दगी के लिए,
प्यार के लिए,
सुन्दर नजारों और रोटी के लिए
और सबकी कविता के लिए...
अंग्रेजी से अनुवाद : संध्या नवोदिता
साभार : kavitakosh.org